Rainy Season Diseases: अपने को बचाइए महामारियों से, कभी भी हमला कर सकते हैं अनजाने वायरस

Rainy Season Diseases: डब्लूएचओ से लेकर तमाम वैज्ञानिकों ने चेताया है कि कोरोना से भी कई गुना खतरनाक विषाणुओं का हमला कभी भी हो सकता है और ऐसी आफत आ सकती है जिसकी कल्पना भी भयानक है। ऐसे में हम क्या करें..

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-09-26 19:43 IST

Rainy Season Diseases (Pic:Social Media)

Rainy Season Diseases: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को घुटनों पर बैठा दिया। जान माल की अपूर्णीय क्षति हुई और कोरोना इफ़ेक्ट आज तक हावी है। लेकिन कोरोना कोई आखिरी महामारी नहीं थी। डब्लूएचओ से लेकर तमाम वैज्ञानिकों ने चेताया है कि कोरोना से भी कई गुना खतरनाक विषाणुओं का हमला कभी भी हो सकता है और ऐसी आफत आ सकती है जिसकी कल्पना भी भयानक है। ऐसे में हम क्या करें, कैसे महफूज़ रहें, ये अत्यंत महत्वपूर्ण सवाल है। सरकारें जो तैयारी कर रही हैं या करेंगी वह अपनी जगह है लेकिन निजी तौर पर भी हरेक को तैयार रहना चाहिए। जानते हैं कुछ उपायों के बारे में।

क्या करें

स्वस्थ रहें, इम्यूनिटी बढ़ाएं: सबसे बड़ा सूत्र है इम्यून रहने का। कोरोना काल में बहुत से लोग ऐसी रहे जिन्हें वायरस संक्रमित नहीं कर पाया या संक्रमित करने के बाद भी नुकसान नहीं कर पाया। हमें अपनी इम्यूनिटी चरम स्तर पर बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन और स्वस्थ लाइफ स्टाइल का पालन करना होगा।

स्ट्रेस मुक्त जीवन: स्ट्रेस इम्यूनिटी को घटा देता है सो स्ट्रेस को दूर रखें। इसके लिए मेडिटेशन, व्यायाम आदि करें, या अपने लिए खुद कुछ स्वस्थ एक्टिविटी तय करें।

दवाओं का प्रयोग: एंटीबायोटिक या अन्य दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है और एक लेवल पर दवाएं काम करना बंद कर देती हैं सो बिना डॉक्टर की सलाह के अपने मन से मेडिकेशन न करें। डॉक्टर से भी दवाओं की जानकारी पूछ लें।

टीकाकरण: राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में नियत टीके बच्चों को अवश्य लगवाएं। इसके अलावा जो टीके सरकार द्वारा बताए जा रहे हैं वह खुद भी लगवाएं। किसी आपदा के समय जो निर्धारित किया जाए वह करें।

पशु पक्षियों से दूरी: पालतू पशु पक्षियों का नियमित टीकाकरण करवाएं। इन्हें साफ रखें व संक्रमित पशुओं से दूर रखें। जंगल या अन्य किसी भी जगह जंगली पशु पक्षियों से दूरी बना कर रखें। ध्यान रखें कि किसी पशु पक्षी के मल, खून या शरीर के द्रव्य के संपर्क में किसी भी परिस्थिति में कतई न आएं। यदि किसी पशु पक्षी ने किसी सब्जी, फल को काटा है या खाया है तो उसे कतई न छुएं। वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि भविष्य में कब कौन सी ज़ूनोटिक आपदा आ जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। ज़ूनोटिक यानी पशु पक्षियों से इंसानों में ट्रांसफर होने वाला संक्रमण। कोरोना इसी तरह का संक्रमण बताया जाता है।

प्रकृति संरक्षण: वातावरण में अनगिनत प्रकार के वायरस, बैक्टेरिया और फंगस मौजूद हैं जिनसे लगातार हम संपर्क में रहते हैं। लेकिन यही तत्व म्यूटेंट होकर घातक भी बन सकते हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ की वजह से ऐसी स्थिति बनने की संभावना रहती है। जलवायु परिवर्तन की वजह से सिस्टम बिगड़ जाता है और नई नई चीजें पनपने लगती हैं सो प्रकृति और पर्यावरण को दूषित और खराब होने से बचाएं।

प्लास्टिक और केमिकल: जहां तक मुमकिन हो, प्लास्टिक तथा रसायनों से बचे रहें। खाने पीने की चीजों, कॉस्मेटिक्स, परफ्यूम, डियोडोरेंट आदि में केमिकल होते हैं जो इम्यूनिटी को खराब करते हैं सो इनसे बाख कर रहें।

निजी वस्तुयें शेयर न करें: टूथब्रश, तौलिया, कंघा, रेज़र, रुमाल, नेल कटर जैसी निजी चीजें न तो किसी को इस्तेमाल करने को दें न किसी और का इस्तेमाल करें। ये सब चीजें बैक्टेरिया, वायरस, फंगी और पैरासाइट की स्रोत हो सकती हैं। 

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