ज्ञान की बात: कहीं आप भी बच्चे की हड्डियों को लेकर चिंतित तो नहीं है, यहां पढ़ें निदान
World Pediatric Bone and Joint Day 2021 : बच्चों की हड्डियों,जोड़ों के प्रति माता-पिता को जागरूक करने के मकसद से हर साल 19 अक्टूबर को World Pediatric Bone and Joint Day मनाया जाता है।
World Pediatric Bone and Joint Day 2021 : छोटी उम्र से ही अगर किसी बच्चे की हड्डियां (Bachcho ki haddiyan) कमजोर हो तो उसका असर ताउम्र उसके स्वास्थ्य पर पड़ेगा। इसलिए डॉक्टर और आहार विशेषज्ञ (dietitian) बचपन से ही बच्चों की हड्डियों से जुड़ी बीमारी और उनकी मजबूती तथा विकास पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, कि बच्चों की हड्डियां लगातार बढ़ती और आकार लेती रहती है। इस विकास प्रक्रिया के दौरान नई हड्डियों के ऊतक पुरानी हड्डियों की जगह लेते हैं। मगर, उम्र के साथ हड्डियों से जुड़े विकार आने वाले दिनों में कई दिक्कतें पैदा कर सकते हैं।
कुछ बच्चे अनुवांशिक (जेनेटिक) या बचपन में किसी अन्य वजह से 'बोन डिसऑर्डर' (bone disorder) का शिकार हो सकते हैं। बच्चों की हड्डियों,जोड़ों के प्रति माता-पिता को जागरूक करने के मकसद से हर साल 19 अक्टूबर को 'World Pediatric Bone and Joint Day' मनाया जाता है। तो चलिए, आज इस मौके पर हम आपको बताते हैं कि बच्चों की हड्डियों और जोड़ों को मजबूत रखने के लिए अभिभावकों को किन बातों का ख्याल रखना आवश्यक है।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
पैरों के पंजे अंदर की ओर मुड़े होना
हड्डी रोग विशेषज्ञ कहते हैं, कि बच्चे जब चलना शुरू करते हैं, तो कई बार उनके पैरों के पंजे अंदर की ओर मुड़े होते हैं। मेडिकल की भाषा में इसे 'इन-टोइंग' (In-Toeing) कहा जाता है। ये पैर के अंगूठे-उंगलियों या कूल्हे की हड्डी से जुड़ी समस्या हो सकती है। विशेषज्ञ कहते हैं, इसमें बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।लेकिन ऐसी स्थिति में एक बार डॉक्टरी परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
घुटनों में दिक्कत
बचपन में कई ऐसे बच्चे होते हैं जिनके पैर पिंडली की तरफ से बाहर की ओर मुड़े रहते हैं। ऐसे बच्चों के सात साल की उम्र होने तक पैर घुटने से जांघ तक आपस में चिपक जाते हैं। शरीर का का निचला हिस्सा बिलकुल असामान्य दिखने लगता है। ऐसी स्थिति में अभिभावकों को शुरुआत में ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। उसी उम्र में अगर डॉक्टरी परामर्श पर चला जाए तो बहुत हद तक बड़े नुकसान को टाला जा सकता है।
रीढ़ में घुमाव या 'स्कोलियोसिस'
कई बच्चों की रीढ़ की हड्डी में असामान्य रूप से दिखने वाला घुमाव या झुकाव भी विशेषज्ञों के अनुसार नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। डॉक्टरी भाषा में इस दिक्कत को 'स्कोलियोसिस' (Scoliosis) कहते हैं। इसलिए अगर आपके बच्चे की पीठ या कमर की तरफ किसी प्रकार की दिक्कत नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। कम उम्र की लड़कियों में ऐसी दिक्कतें ज्यादा देखने को मिलती हैं।
बच्चों के फ्लैट फुट को हल्के में न लें
कई मां-बाप को फ्लैट फुट (Flat feet) कोई समस्या ही नहीं लगती। वो इसे बहुत मामूली तौर पर लेते हैं। चूंकि, फ्लैट फुट वालों को पैरों के फंक्शन में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती, इसलिए इसे हल्के में लिया जाता है। लेकिन फ्लैट फुट से जूझ रहे रहे करीब 10 प्रतिशत बच्चों में इसकी दिक्कत बढ़ सकती है। विशेषज्ञ कहते हैं, ज्यादातर बच्चे फ्लैट फुट के साथ ही जन्म लेते हैं। लेकिन तीन साल की उम्र से उनके तलवों में बनना शुरू हो जाता है, जो 10 साल की आयु तक पूरी तरह विकसित हो जाता है।
जोड़ और हड्डियों को कैसे करें मजबूत?
शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करें
हड्डी रोग से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को शारीरिक गतिविध यानि Physical activity में हिस्सा लेने के लिए अभिभावकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर, बच्चे की उम्र 3 से 5 साल के बीच है, तो उसे रोजाना करीब 60 मिनट किसी एक्टिविटी में हिस्सा लेना चाहिए। यदि बच्चे की उम्र 6 से 17 साल के बीच है, तो उन्हें रोजाना करीब 60 मिनट या सप्ताह में 5 दिन मांसपेशियां मजबूत करने वाले व्यायाम (Vyayam) जैसे क्लाइंबिंग (Climbing) या पुश अप्स करने चाहिए।
दें कैल्शियम से भरपूर आहार
कैल्शियम (Calcium) हड्डियों को मजबूत बनाता है। बच्चों की हड्डियों को मजबूत करने के लिए कैल्शियम मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए बच्चों को दूध से बने उत्पाद खिलाने पर जोर देना चाहिए। क्योंकि, डेयरी प्रोडक्ट्स में कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। अब मन में सहज सवाल उठता है कि इसके अलावा और किस खाद्य पदार्थ में कैल्शियम है। तो आपको बता दें कि 'रागी' को कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। 100 ग्राम रागी में करीब 350-375 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। लेकिन यह भी संभव है कि आपको रागी (Finger millet) नहीं मिले। तब ऐसी स्थिति बच्चों की डाइट में राजमा या शीशम के बीज जैसी चीजें भी शामिल की जा सकती है। 100 ग्राम राजमा में करीब 275-300 मिलीग्राम जबकि शीशम के बीज में करीब 800 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है।
कोल ड्रिंक से बच्चों को रखें दूर
विशेषज्ञ अभिभावकों से अपने बच्चे को सोडा या कार्बोनेटेड पेय पदार्थों के अत्यधिक सेवन से दूर रखने की सलाह देते हैं। ऐसे पेय पदार्थ बच्चों और युवाओं की हड्डियों को कमजोर कर सकता है। हालांकि इसके वास्तविक कारण की जानकारी नहीं है। लेकिन शोधकर्ता कहते हैं कि कोला (cola)-सोडा (soda) से हड्डियों की डेंसिटी (Density) पर बुरा असर पड़ता है। कोला ड्रिंक पीने वालों के शरीर में कैल्शियम और विटामिन-डी (Vitamin D) की कमी हो सकती है, जिसका संबंध हड्डियों से है। इसलिए ऐसे पेय पदार्थों से बच्चों की दूरी बनाकर ही रखें।