किसान आन्दोलन: 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का ट्रेड यूनियनों ने किया समर्थन
किसानों के साथ आज केंद्र सरकार के मंत्रियों की बातचीत हुई। जिसमें इस बात के संकेत दिए गये कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी बल्कि इसमें संसोधन किया जाएगा। लेकिन किसान इस पर राजी नहीं हैं।
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आन्दोलन का आज दसवां दिन हैं। पंजाब, हरियाणा, यूपी और बिहार समेत अलग-अलग राज्यों से हजारों किसान आकर इस वक्त दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं।
उन्होंने अपनी मांगे पूरी नहीं होने तक ऐसे ही अपना आन्दोलन जारी रखने की बात कही है। किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है।
जिसके बाद से दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से किसानों के बुलाए गए बंद को अपना पूर्ण समर्थन देने का एलान किया है।
कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, सरकार ने संशोधन के दिए संकेत
पहले भी कई संगठनों ने किया है किसान आन्दोलन का समर्थन
बता दें कि इससे पहले किसानों के आन्दोलन को हरियाणा के खांपे से लेकर दिल्ली के ऑटो रिक्शा, फल और सब्जी यूनियन, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत कई अन्य संगठन समर्थन देने का एलान कर चुके हैं।
ट्रेड यूनियनों ने हाल ही में पास हुए श्रम कानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल बुलाई थी। एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि केंद्रीय व्यापार संघों और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों / संगठनों के संयुक्त मंच ने कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर किसानों के चल रहे एकजुट संघर्षों को अपना पूरा समर्थन दोहराया है।
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यहां देखें भारत बंद में शामिल ट्रेड यूनियनों के नाम
इन दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल है।
केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के मुताबिक 27 नवंबर, 2020 से देश के सभी राज्यों में मजदूरों, कर्मचारियों और उनकी यूनियनंस मौजूदा किसानों के संघर्ष के साथ एकजुटता दिखाते हुए विभिन्न आंदोलनों में पूरी तरह सक्रिय रही हैं।
बताते चलें कि आज किसानों के साथ सरकार के मंत्रियों की बातचीत हुई। जिसमें इस बात के संकेत दिए गये कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी बल्कि इसमें संसोधन किया जाएगा। लेकिन किसान इस पर राजी नहीं हैं। वे अभी भी अपनी पुरानी मांग पर ही अड़े हुए हैं।
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