15 अगस्त 2019 : 100 में दो ही जानते होंगे भारत की आजादी का ये राज

1929 में, जब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज ’का आह्वान किया तब 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने के लिए चुना गया। असल में, कांग्रेस पार्टी ने इसे 1930 में मनाया, जब तक कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की।

Update:2019-08-10 16:42 IST
15 अगस्त 2019 : 100 में दो ही जानते होंगे भारत की आजादी का ये राज

नई दिल्ली : 1929 में, जब कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज ’का आह्वान किया तब 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने के लिए चुना गया। असल में, कांग्रेस पार्टी ने इसे 1930 में मनाया, जब तक कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की और 26 जनवरी, 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया, जिस दिन भारत औपचारिक रूप से एक संप्रभु देश बन गया और अब ब्रिटिश अधिराज्य नहीं था।

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15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की कमान से पूरी तरह स्वतंत्र हो गया था। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि 15 अगस्त की तारीख को ही भारत की आजादी के लिए क्यों चुनी गई? दरअसल, ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक भारत की सत्‍ता भारतीय लोगों को ट्रांसफर करने का अधिकार दिया था। सन् 1947 में भारत के आखिरी वायसराय के तौर पर लॉर्ड माउंटबेटन को नियुक्त किया गया था। इसके बाद माउंटबेटन ने ही भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी थी।

1948 तक इंतजार करते तो न मिल पाती आजादी

आपको बताते है कि इतिहासकारों का मानना है कि सी. राजगोपालाचारी के सुझाव पर माउंटबेटन ने भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी। सी राजगोपालाचारी ने लॉर्ड माउंटबेटन को कहा था कि अगर 30 जून 1948 तक इंतजार किया गया तो हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता नहीं बचेगी। ऐसे में माउंटबेटन ने 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता के लिए चुना।

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इसके बाद ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया। इस बिल में भारत के बंटवारे और पाकिस्तान के बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था। यह बिल 18 जुलाई 1947 को स्वीकारा गया और 14 अगस्त को बंटवारे के बाद 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि 12 बजे भारत की आजादी की घोषणा की गई।

लार्ड माउंटबेटन क्यों 15 अगस्त को मानते थे शुभ

यहां तक कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 15 अगस्त को आजादी का दिन चुनना लार्ड माउंटबेटन का निजी फैसला था। लार्ड माउंटबेटन लोगों को यह दिखाना चाहते थे, कि सब कुछ उनके ही संरक्षण में ही हो रहा है। माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानता था। उसने भारत की आजादी के लिए ये तारीख इसलिए चुनी थी, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय 15 अगस्त, 1945 को जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था और उस समय लॉर्ड माउंटबेटन एलाइड फोर्सेज का कमांडर था।

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अब बात पाकिस्तान की आजादी की...

पाकिस्तान को 14 अगस्त को आजादी कैसे मिली? वास्तव में यह नहीं था भारतीय स्वतंत्रता विधेयक ने दोनों देशों के लिए स्वतंत्रता दिवस की तारीख के रूप में 15 अगस्त ही चुना था। पाकिस्तान द्वारा जारी पहली मोहर ने 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के रूप में उल्लेख किया। पाकिस्तान के अपने पहले संबोधन में, जिन्ना ने कहा, “15 अगस्त पाकिस्तान के स्वतंत्र और संप्रभु राज्य का जन्मदिन है। यह मुस्लिम राष्ट्र की नियति को पूरा करता है जिसने पिछले कुछ वर्षों में अपनी मातृभूमि के लिए महान बलिदान दिए। ”

लेकिन 1948 में, पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के रूप में चिह्नित करना शुरू कर दिया, या तो इसलिए क्योंकि कराची में सत्ता हस्तांतरण का समारोह 14 अगस्त, 1947 को आयोजित किया गया था, या फिर 14 अगस्त 1947 को रमजान की 27 वीं तारीख थी, मुसलमानों के लिए यह एक बहुत ही पवित्र तारीख थी। अब जो भी हो, आजादी के 72 साल बाद भारत और पाकिस्तान देशभक्ति के जज्बे के साथ अपनी शानदार आजादी का जश्न मनाते हैं।

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