नासिक: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर व फ़र्रूख़ाबाद अस्पताल में नवजात शिशुओं की मृत्यु के मामले के बाद यहां जिला अस्पताल के इनक्युबेटर में क्षमता से अधिक नवजात बालकों का इलाज करना पड़ रहा है। अगस्त के महीने में 55 नवजात बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। तो 9 माह में 347 बच्चो की मौत अबतक हुई है।
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महाराष्ट्र नासिक में दूसरी तरफ नवजात बालकों को एक-दूसरे का संसर्ग होने का खतरा अधिक होता है। एक-एक इनक्युवेटर में चार-चार बालकों को रखा जा रहा है। पैदा होते ही पीलिया व श्वसन क्रिया की समस्या तथा वजन कम होने पर बालकों को इनक्युवेटर में रखना अनिवार्य होता है, जबकि एक इनक्युवेटर में एक शिशु को रखना अनिवार्य होता है। इसके बावजूद यहां पर नवजात शिशुओं की संख्या अधिक होने के कारण क्षमता से अधिक बालकों को रखा जा रहा है। सभी अस्पतालों में यही स्थिति होने की संभावना जताई जा रही है।
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सूत्रों ने बताया कि नवजात शिशुओं का इलाज करना अस्पताल व्यवस्था के लिए चुनौती साबित हो रहा है। जिला अस्पताल को और 18 इनक्युवेटर आवश्यकता है। गंभीर परिस्थिति में नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक वेंटीलेटर (जीवरक्षक प्रणाली) एक भी जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। इसको लेकर स्थनीय संगठन और राजनैतिक दल हरकत में आकर अपना विरोध जताने लगे हैं।
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत का मामला गंभीर बना है। और दूसरी ओर नासिक जिला अस्पताल में इनक्युबेटर की व्यवस्था के अभाव में विगत एक महीने में 55 बालकों की मृत्यु हुई है।