Abdul Kalam Birth Anniversary: जानिए मिसाइल मैन के 6 अविष्कारों के बारे में

1980 में उन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के पास स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।

Update:2023-08-12 21:24 IST

नई दिल्ली: भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्टूबर को 88वीं जंयती है। मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जितनी सेवाएं उन्होंने देश को दीं, वह काफी अकल्पनीय हैं। वह न सिर्फ एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि वह विचारक और टीचर भी रह चुके हैं।

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का शुरुआती जीवन

  • 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में मिसाइल मैन का जन्म हुआ था।
  • पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे और वह मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे।
  • पिता जैनुलाब्दीन पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वो पढ़ाई का महत्व जानते थे।
  • मिसाइल मैन के पांच भाई और पांच बहने थीं।
  • मिसाइल मैन का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।
  • साल 1950 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

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अब्दुल कलाम के अविष्कार

  • नंदी अविष्कार
  • पोखरण परमाणु परीक्षण
  • अग्नी और पृथ्वी स्वेदशी मिलाइल का निर्माण
  • दिल के मरीजों के लिए कोरोनरी स्‍टेंट का निर्माण किया था, जिसकी वजह से इस दवा की कीमत में काफी कमी आई थी।
  • ऑर्थोसिस कैलीपर्स का निर्माण
  • बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण

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कमाल था उनका वैज्ञानिक जीवन

  • कलाम साहब ने साल 1972 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO जॉइन किया था।
  • उनको परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ।
  • 1980 में उन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के पास स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
  • इसरो लांच व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी मिसाइल मैन को जाता है।
  • कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया।
  • उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।

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