Adani Hindenburg Case: अडानी-हिंडनबर्ग केस में जांच कमेटी गठन को केंद्र तैयार, सुप्रीम कोर्ट को भेजेगा एक्सपर्ट के नाम
Adani Hindenburg Case: अडानी ग्रुप -हिंडनबर्ग केस में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने पक्ष रखा। सरकार एक्सपर्ट कमेटी गठन को राजी है।
Adani Hindenburg Case: अडानी ग्रुप-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई सोमवार (13 फ़रवरी) को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने पक्ष रखा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, 'अगर इस मामले में अदालत जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित करना चाहता है तो सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं। कहने का मतलब है कि, अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के कहने पर सरकार भी जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठन को राजी हो गई है।
अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani Hindenburg Case) पर अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी। आज हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को ये भी बताया कि, शेयर बाजार के कामकाज में बेहतरी के लिए कमेटी बनाने में उसे आपत्ति नहीं है। मगर, इस बात का ध्यान रखना होगा कि विदेशी निवेश प्रभावित न हो।
'सदस्यों के लिए सुझाव सीलबंद लिफाफे में दें'
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कमिटी के सदस्यों के लिए अपने सुझाव सीलबंद लिफाफे में सौंपने का परमिशन दिया है। इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने निवेशकों के पैसे डूबने को लेकर चिंता जाहिर की थी। कोर्ट ने तब भविष्य में लोगों को इस प्रकार होने वाले नुकसान से बचाने के लिए व्यवस्था में सुधार की ज़रूरत पर बल दिया था। केंद्र कमेटी के सदस्यों के नाम बुधवार तक शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में सौंपेगी। जिसके बाद अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। सरकार मामले पर अपनी दलीलों की सूचीबद्ध सारणी याचिकाकर्ताओं (Petitioners) को भी देंगे। सरकार ने अदालत से दस्तावेजों की गोपनीयता बनाए रखने को कहा है।
'गोपनीयता बरकरार रहनी चाहिए'
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आवश्यक निर्देश दिए। सरकार ने सहमति जताई है कि इस मामले की जांच के लिए संबंधित विषयों की एक्सपर्ट कमेटी गठित करने पर उसे कोई ऐतराज नहीं। इस पर कोर्ट ने उनसे कमेटी सदस्यों के नाम का प्रस्ताव भेजने को कहा। हालांकि, दलीलों की प्रति याचिका कर्ताओं को सौंपने के मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, कि नोट की गोपनीयता बरकरार रहनी चाहिए।
क्या थी याचिका?
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट में वकील विशाल तिवारी तथा एडवोकेट एमएल शर्मा (Advocate ML Sharma) ने याचिका दायर कर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की जांच कराए जाने की मांग की। याचिकाकर्ता विशाल तिवारी (Petitioner Vishal Tiwari) ने कहा, ये मामला 'राष्ट्र की साख' से जुड़ा है। ऐसे में हिंडनबर्ग ग्रुप के खिलाफ जांच की जाए। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाने की भी मांग रखी गई है। साथ ही, अडानी-हिंडनबर्ग मामले में शॉर्ट सेलिंग की साजिश के भी आरोप हैं।