Ajab Gajab News: ये है वो जगह जहाँ चमगादड़ों को पूजते हैं लोग, कारण जानकार हैरान रह जायेंगें आप

Ajab Gajab News: भारत में एक ऐसा गांव हैं जहाँ चमगादड़ों की पूजा की जाती है आइये जानते हैं इसके पीछे की क्या है वजह।

Update: 2023-11-23 02:52 GMT

Ajab-Gajab (Image Credit-Social Media)

Ajab Gajab News: पिछले कुछ सालों से चमगादड़ों की संख्या में काफी कमी आई है वहीँ भारत में एक ऐसी जगह भी है जहाँ इन चमगादड़ों की संख्या काफी ज़्यादा है और इतना ही नहीं बल्कि वहां इन्हें पूजा भी जाता है। आइये जानते हैं कि क्यों यहाँ इनकी पूजा की जाती है और आखिर ये किस जगह पर होता है।

यहाँ चमगादड़ों को पूजते हैं लोग

वैशाली जिले के सरसई गांव में चमगादड़ों की पूजा की जाती है। लगभग 600 वर्ष से अधिक समय से इस गांव में चमगादड़ों का बसेरा है। उन्हें बेहद शुभ और अच्छा समझा जाता है। वहीँ यहाँ आपको 52 बीघा तालाब के पास चमगादड़ों का झुंड दिखाई देगा। यहाँ आपको पेड़ों पर उल्टा झूलते चमगादड़ दिखाई देंगें। साथ ही इन्हे देखकर आपके मन में ये सवाल ज़रूर आएगा कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में चमगादड़ यहाँ कहाँ से आये।

नागपंचमी पर होती है इनकी पूजा

दरअसल वैशाली जिले के हाजीपुर प्रखंड क्षेत्र के सरसई गांव में एक ऐसा तालाब है जिसके चारों तरफ कई सारे पेड़ हैं और यहाँ जितने भी पेड़ आपको नज़र आएंगे वहां उसपर सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ों का झुंड मौजूद रहता है। गांव वालों का ये भी कहना है कि यहाँ पर चमगादड़ सैकड़ों सालों से आ रहे हैं। और इन्हे उनकी कई पीढ़ियों ने ऐसे देखा है।

इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि आज तक चमगादड़ों ने किसी को भी कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। इसीलिए नागपंचमी के दिन यहाँ पर उनकी पूजा का रिवाज़ है। चमगादड़ पेड़ों पर उल्टा लटककर सोते हैं और जब आपको पेड़ों पर सैकड़ो की संख्या में ये नज़र आएंगे तो आप हैरान रह जायेंगे। ये नज़ारा देखने लोग दूर दूर से आते हैं जो किसी आश्चर्य से कम नहीं है। 

सरसई गांव में रहने वाले एक शख्स ने बताया कि ये गांव चमगादड़ों के लिए काफी ख़ास है। उसने बताया कि साल 1402 से 1405 के बीच ठाकुरी राजवंश के राजा शिव सिंह ने 52 बीघा जमीन पर सरसई गांव में तालाब खुदवाया था इसके बाद उन्होंने सके चारों ओर पेड़ भी लगवाए थे। इसके बाद उसने बताया कि उस वक़्त गांव में हैजा और कोलरा जैसी महामारी का प्रकोप हर तरफ फैला हुआ था और अक्सर ये महामारी गांव में फैल जाया करती थीं।

गांव वालों के अनुसार एक बार सरसई और आसपास के गांवों में महामारी फैली हुई थी, वहीँ उस समय चमगादड़ों का झुंड तालाब के चारों ओर नज़र आया। जिसने वहां मौजूद पेड़ों पर डेरा डाल लिया। इसके बाद से ही इस गांव में महामारी फैलना बंद हो गयी। इसके बाद से ही गांव वालों ने चमगादड़ों को गांव का रक्षक मान लिया और इसी वजह से उनकी पूजा शुरू की गई। चमगादड़ एक स्तनधारी जीव है जिसकी वजह से इसे मातृत्व के रूप में पूजा जाता है वहीँ ये रात में ही उड़ते हैं जिसकी वजह से उन्हें माँ लक्ष्मी का भी अंश समझा जाता है। 

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