छत्तीसगढ़ के पूर्व CM अजित जोगी का जाति प्रमाण पत्र खारिज, बढ़ी राजनितिक सरगर्मी

बीते करीब छह साल से विवाद का विषय बना रहा पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) नेता अजीत जोगी के जाति का मुद्दा एक विशेष स्थिति तक पहुंच गया है।

Update:2017-07-07 15:45 IST

रायपुर: बीते करीब छह साल से विवाद का विषय बना रहा पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) नेता अजीत जोगी के जाति का मुद्दा एक विशेष स्थिति तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कह दिया है कि अजीत जोगी आदिवासी नहीं हैं। इस रिपोर्ट के बाद महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के बाद जोगी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त माना जाएगा।

- जोगी तब तक कंवर जाति का लाभ नहीं ले सकेंगे, जब तक कोर्ट से उनके पक्ष में कोई फैसला नहीं आ जाता।

- रिपोर्ट पर जोगी की प्रतिक्रिया थी कि वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

- इस बीच बिलासपुर के कलेक्टर के निर्देश पर जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया।

- रिपोर्ट आने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गई।

- कांग्रेस ने रिपोर्ट के मद्देनजर जोगी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और मरवाही से विधायक अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी का चुनाव भी निरस्त करने की मांग की गई।

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सिद्धनाथ पैकरा ने कहा कि जोगी को असली और नकली आदिवासी होने के मुद्दे पर अब स्थिति साफ हो चुकी है। अब उन्हें इसे स्वीकार कर नैतिकता के आधार पर अपने पुत्र को भी अनुसूचित जनजाति सीट पर विधायक पद के लिए अयोग्य घोषित कर इस्तीफे के लिए कहना चाहिए। मुख्यमंत्री रमन सिंह की अपनी बचाव वाली प्रतिक्रिया केवल यह रही कि रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि जोगी की जाति का मामला एक इंजीनियर संतकुमार ने सबसे पहले उठाया था। उन्होंने उनके आदिवासी होने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके अलावा मरवाही विधानसभा की भाजपा प्रत्याशी रहीं समीरा पैकरा ने भी मामला दायर कर रखा था। लेकिन जोगी के खिलाफ जाति मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

आरोप लगता रहा है कि मुख्यमंत्री रमन इस मामले में जोगी को बचाते रहे हैं। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2011 को मुख्यमंत्री रमन सिंह को दो माह के भीतर हाईपावर कमेटी गठित करने को कहा था। मुख्यमंत्री ने कमेटी का गठन जनवरी 2013 में किया। हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट 18 सितंबर 2013 को आई जिसे सरकार ने कोर्ट में पेश करने के बाद वापस ले लिया। यह हालिया रिपोर्ट भी 31 मई 2017 से तैयार हो चुकी थी, लेकिन इसके बारे में अनधिकृत रूप से ही सही जानकारी 27 जून को आई। इसी रिपोर्ट के आधार पर जोगी का आदिवासी होने का प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया।

रिपोर्ट आने पर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पहली प्रतिक्रिया थी कि वह हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। हाईकोर्ट के बाद विकल्प के रूप में सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। जोगी ने फैसले को राजनीतिक साजिश करार दिया। उनका कहना था कि जाति का निर्णय करने के लिए न्यायालय ने 31 मई तक की समय सीमा तय की थी।

सरकार ने निर्णय आने से एक सप्ताह पहले ही कमेटी के तीनों अफसरों का तबादला कर दिया। अपने लोगों को बैठाया। इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मैंने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं। आखिर आशंकाएं सच हुईं। अजीत जोगी के पुत्र और मरवाही से विधायक अमित जोगी ने रिपोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सरकार को निशाने पर लिया। अमित जोगी का कहना था कि सरकार जाति, लाठी जैसे लाख हथकंडे अपना ले, छत्तीसगढ़ में अगले वर्ष जोगी सरकार बनने से रोक नहीं सकती। छत्तीसगढ़ में जक ांछ की सरकार बनना तय है। इसीलिए दिल्ली और नागपुर बौखला गए हैं। लेकिन वे अपने मकसद में सफल नहीं होंगे।

देर आए दुरुस्त आए

राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय की टिप्पणी थी कि रिपोर्ट जोगी की जाति पर देर से आया सही फैसला है। उनका आरोप था कि जानबूझकर जांच में देरी की गई। इस साजिश में राज्य सरकार, महाधिवक्ता और अजीत जोगी भी शामिल थे। हम इन तीनों के खिलाफ हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना का मामला दायर करेंगे। बढ़ती राजनीतिक हलचलों के बीच, आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिशुपाल सोरी और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोज मंडावी ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री रमन ङ्क्षसह राज्यपाल से मुलाकात कर अजीत जोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की।

इस आशय की जानकारियां भी मिली हैं कि जोगी के पैतृक गांव जोगीसार के बहुतायत लोगों का मानना है कि जोगी कंवर जाति के नहीं हैं।

जोगी की जाति संबंधी हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट पर सबसे मुखर प्रतिक्रिया कांग्रेस की रही है। जोगी के कांग्रेस से अलग होने और अपनी अलग पार्टी बनाने के बाद से कांग्रेस लगातार उनकी जाति का मुद्दा उठाती रही है।

अब रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव ने कहा कि जोगी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए और अमित जोगी का मरवाही से चुनाव निरस्त होना चाहिए। सिंह देव ने रिपोर्ट आने पर कहा कि यह फैसला काफी पहले ही आ जाना था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे छह साल तक दबाए रखा। अब रिपोर्ट में सारी बातें सामने आ गई हैं तो सरकार को इस मामले में आगे की वैधानिक कार्रवाई करनी चाहिए। जोगी के जाति प्रमाणपत्र को भी रद्द करते हुए अनुसूचित जनजाति को मिलने वाला लाभ उन्हें नहीं दिया जाना चाहिए।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की टिप्पणी थी कि जोगी-रमन की नूराकुश्ती की वजह से जोगी की जाति का मामला इतने वर्षों तक लटका रहा। अंतागढ़ उपचुनाव से लेकर जाति मामले तक दोनों गलबहियां डाले घूमते रहे हैं। अगर दोनों साथ नहीं होते तो जाति की जांच पूरी होने में छह साल नहीं लगते जबकि सुप्रीम कोर्ट ने दो माह का समय दिया था।

2013 के ठीक पहले सरकार जाति के मामले में हाईकोर्ट में पेश अपनी रिपोर्ट वापस नहीं लेती। अगर कानून को अपना काम करना है तो इस रिपोर्ट के बाद कार्रवाई होनी चाहिए। इसमें फर्जी जाति प्रमाणपत्र का रद्द होना, मरवाही से चुनाव शून्य घोषित किया जाना और आपराधिक मामला दर्ज किया जाना शामिल है।

बाद में जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिए जाने पर बघेल ने कहा कि अब सरकार को चाहिए कि अमित जोगी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करे और चुनाव आयोग को तत्काल सूचना दी जाए जिससे उनका मरवाही से चुनाव शून्य घोषित किया जा सके। मुख्यमंत्री अभी भी जोगी को बचाने में लगे हैं। इसका प्रमाण यह है कि रिपोर्ट की एक प्रति अमित जोगी को दे दी गई ङ्क्षकतु किसी और को नहीं उपलब्ध कराई गई।

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