Amit Shah ka Bhasan: राज्यसभा में 'संविधान पर चर्चा' के दूसरे दिन गृह मंत्री अमित शाह का दमदार भाषण, जानिये भाषण की 10 मुख्य बातें

Amit Shah ka Bhasan: राज्यसभा में भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर संविधान पर चर्चा के दूसरे यानि अंतिम दिन गृह मंत्री अमित शाह ने दमदार भाषण दिया। उन्होंने कहा कि देश कितना आगे बढ़ा, ये चर्चा भारत की जनता को अहसास कराएगी। हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है।;

Newstrack :  Network
Update:2024-12-17 19:09 IST

Amit Shah (Source: Sansad TV)

Amit Shah ka Bhasan: राज्यसभा में भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर संविधान पर चर्चा के दूसरे यानि अंतिम दिन गृह मंत्री अमित शाह ने दमदार भाषण दिया। उन्होंने कहा कि देश कितना आगे बढ़ा, ये चर्चा भारत की जनता को अहसास कराएगी। हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है।

-गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरदार पटेल के प्रयासों से देश एकजुट हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग यह सवाल उठाते थे कि क्या भारत आत्मनिर्भर हो पाएगा, आज वह देश दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। उन्होंने यह उदाहरण देते हुए बताया कि ब्रिटेन, जिसने हम पर कई वर्षों तक शासन किया, आज हमारे बाद है। अमित शाह ने महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि इन महापुरुषों ने भविष्यवाणी की थी कि जब भारत माता अपने पूर्ण स्वरूप में दुनिया के सामने आएंगी, तो समस्त विश्व की आंखें चकाचौंध हो जाएंगी। अब यह भविष्यवाणी सच होने का समय आ गया है।

-अमित शाह ने संविधान में बदलाव के प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा कि परिवर्तन जीवन का हिस्सा है और संविधान सभा ने इसे स्वीकार किया था। संविधान संशोधन का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में एक नेता ने यह दावा किया कि वह संविधान बदल देंगे, लेकिन भाजपा ने 16 वर्षों में 16 संविधान संशोधन किए हैं, जो कि कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए संशोधनों से अलग थे। अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी के चार महत्वपूर्ण संशोधनों का भी उल्लेख किया, जिनमें पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ था। यह संशोधन संविधान सभा द्वारा किया गया था, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए 19A जोड़ा गया था। उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे।

-राहुल गांधी पर तंज कसते हुये अमित शाह ने कहा, हमारे संविधान में संविधान को कभी भी अपरिवर्तनीय नहीं माना गया है। अनुच्छेद 368 में संविधान में संशोधन का प्रावधान है। कुछ राजनेता 54 वर्ष की आयु में खुद को युवा कहते हैं। संविधान लेकर घूमते रहते हैं और कहते हैं कि संविधान बदल देंगे। मैं बताना चाहता हूं कि संविधान में संशोधन का प्रावधान अनुच्छेद 368 में है। भाजपा ने 16 साल तक शासन किया और हमने संविधान में 22 परिवर्तन किए। कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 परिवर्तन किए।

-देश के दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण है। ये गैर संवैधानिक है। संविधान सभा में स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। आरक्षण का आधार पिछड़ापन होगा। कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया। आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं। जबतक दोनों सदन में जब तक बीजेपी का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे। ये संविधान विरोधी है।

-अमित शाह ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि बिना किसी कारण कई लोगों को जेल में डाला गया, जिनमें से कई आज कांग्रेस के साथ हैं। उन्होंने सवाल किया, क्या देश पर हमला हुआ था या कोई आपदा आई थी?  शाह ने उदाहरण देते हुए कहा, नीरज डे, जो केवल 'यस सर' कहते थे, 11 साल तक अटॉर्नी जनरल रहे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनकी उम्र होती, तो वह 19 महीने जेल में रहना पसंद करते, क्योंकि इस बारे में जानकारी उन्हें बिनाका गीतमाला से मिली थी। संविधान दिवस पर उन्होंने कहा कि संविधान को जितनी बार याद किया जाएगा, उतनी ही आस्था मजबूत होगी। इसके बाद, शाह ने दुष्यंत कुमार की आपातकाल पर लिखी कुछ पंक्तियां पढ़ीं।

-अमित शाह ने कांग्रेस पर नागरिक अधिकारों के कत्ल के लिए संविधान संशोधन करने का आरोप लगाते हुए कच्चातिवू द्वीप को लेकर भी कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि रातोरात इन्होंने ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया और संसद के पास विषय ही नहीं आया। आज भी यह हमारा भूभाग है लेकिन हमारे पास नहीं है। आपने पार्टी को तो परिवार की जागीर समझा ही है, संविधान को भी परिवार की जागीर समझ लिया है। संविधान के साथ ऐसा अन्याय दुनिया के किसी शासक ने नहीं किया होगा।

-अमित शाह ने कहा, डॉ. आंबेडकर के जन्मस्थान पर स्मारक बनाने की मांग की गई थी, और कहा कि सरकार ने निजी पहल से स्मारक बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने बीजेपी सरकार के तहत आंबेडकर के स्मारकों का जिक्र करते हुए कहा कि अब लोग आंबेडकर का सम्मान कर रहे हैं क्योंकि उनके समर्थक बढ़ गए हैं।

-शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उसने वर्षों तक अनुच्छेद 370 को बढ़ावा दिया, जबकि मोदी सरकार ने इसे एक झटके में समाप्त कर दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की विकास दर और 1.19 लाख करोड़ के निवेश का उदाहरण देते हुए कहा, 370 हटाने से तुष्टिकरण की दुकान बंद हो गई है।

-अमित शाह ने केशवानंद भारती केस का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यायिक फैसले कभी हमारे खिलाफ भी आते हैं, और हमें उन्हें मानना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उसने तीन वरिष्ठ न्यायधीशों को नजरअंदाज कर चौथे को मुख्य न्यायधीश बनाया, जिससे तीनों ने इस्तीफा दिया। शाह ने तानाशाही पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि इमरजेंसी लाने वालों को याद रखना चाहिए कि न्यायाधीशों को दबाने से देश का लोकतंत्र कमजोर होता है।

-अमित शाह ने सावरकर के योगदान को सलाम करते हुए कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता द्वारा सावरकर के बारे में कही गई बातें वे नहीं दोहरा सकते। उन्होंने कहा कि सावरकर को "वीर" का उपनाम जनता ने दिया, और 1857 से 1947 तक के संघर्ष में किसी और को सावरकर जितना बलिदान नहीं देना पड़ा। शाह ने सावरकर के साहस और बलिदान का जिक्र करते हुए कहा कि उनका जीवन देशभक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जो किसी विचारधारा से जुड़ा नहीं है। उन्होंने इंदिरा गांधी का उदाहरण भी साझा किया, जिसमें उन्होंने सावरकर को "महान देशभक्त" बताया। शाह ने कहा कि देशभक्ति, वीरता और बलिदान को पार्टी और धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। 


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