बंगाल से बड़ी खबर: मॉब लिंचिंग के खिलाफ पेश हुआ बिल, इनको मिलेगी ऐसी सजा
नए प्रावधान के तहत भीड़ को भड़काने वालों के लिए आजीवन कारावास की अधिकतम सजा का प्रावधान किया गया है. लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले राजस्थान और मणिपुर के बाद पश्चिम बंगाल तीसरा राज्य बन गया है. इस कानून के तहत उन लोगों को सजा देने का प्रावधान है जो लिंचिंग के लिए साजिश रचते हैं. उन लोगों को भी सजा का प्रावधान है जो लिंचिंग में शामिल होते हैं।
कोलकाता: ममता बनर्जी की सरकार ने बंगाल विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया कानून पेश किया है। बड़ी खबर है कि विधानसभा में आज पेश इस नए विधेयक में मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त प्रावधानों का प्रस्ताव रखा गया है। पश्चिम बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) विधेयक, 2019 राज्य विधानसभा में आज पेश किया गया।
आजीवन कारावास का प्रावधान...
ममता बनर्जी की सरकार ने बंगाल विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया कानून पेश किया, जिसमें नए प्रावधान के तहत भीड़ को भड़काने वालों के लिए आजीवन कारावास की अधिकतम सजा का प्रावधान है। खास बात यह है कि लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले राजस्थान और मणिपुर के बाद पश्चिम बंगाल तीसरा राज्य बन गया है। इस कानून के तहत उन लोगों को सजा मिलेगी, जो लिंचिंग के लिए साजिश रचते आये हैं।
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शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को दिया था कानून बनाने का निर्देश...
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ 17 जुलाई 2018 को फैसला सुनाया था। जिसमें शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया था। बता दें कि वर्ष 2018 के अंत में क्रमश: मणिपुर सरकार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून पारित किया था। मणिपुर के बाद राजस्थान सरकार ने भी पांच अगस्त को मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया कानून पारित किया है।
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एक तरफ जहां बिल पारित होने के बाद राजस्थान में अब उन्मादी हिंसा की घटना में पीड़ित की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास मिलेगी, इसके साथ ही पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा भी भुगतनी होगी। वहीं दुसरी तरफ पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार से 3 लाख रुपये तक का जुर्माना दोषियों को भुगतना होगा।
गौरतलब है कि उन्मादी हिंसा में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो, हिंसा करने वाले को मिलेगी। राज्य में बढ़ती उन्मादी हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने छह अगस्त को विधानसभा में 'राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक-2019' में पेश किया था, जो पारित हो गया।