अर्नब गोस्वामी मामला: उद्धव सरकार को तगड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
मुंबई: एक निजी चैनल के सम्पादक अर्नब गोस्वामी के गिरफ्तारी के मामले में उद्धव ठाकरे सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने अर्नब की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि अर्नब गोस्वामी की याचिका के संबंध में महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी क्यों नहीं किया जा सकता है।
वहीं आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने एक मामले में गिरफ्तार एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को शुक्रवार को भी मुम्बई हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट अर्नब की याचिका पर अब कल शनिवार दोपहर 12 बजे सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
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महाराष्ट्र सरकार की कार्रवाई याचिकाकर्ता को डराने के लिए
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने मुख्यमंत्री उद्धव को लेकर अर्नब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोई इस तरह से कैसे डरा सकता है। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की यह कार्रवाई याचिकाकर्ता को डराने के लिए की गई है।
वहीं दूसरी तरफ अर्नब गोस्वामी ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की। उन्होंने जांच पर रोक लगाने, पुलिस को उन्हें रिहा करने और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का निर्देश देने अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्णिक की एक खंडपीठ ने गोस्वामी को इस मामले की शिकायतकर्ता अन्वय नाइक की विधवा अक्षता नाइक को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया।
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अर्बन गोस्वामी के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि अलीबाग की अदालत में दिया गया जमानत आवेदन वापस ले लिया गया है। अर्नब गोस्वामी की ओर पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि यदि उनके मुवक्किल को रिहा कर दिया जाता है तो अभियोजन को कोई नुकसान नहीं होगा।
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दलील पेश करने का मौका दिये बगैर जमानत के मुद्दे पर विचार नहीं
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह प्रतिवादियों को दलील पेश करने का मौका दिये बगैर जमानत के मुद्दे पर विचार नहीं कर सकता। पोंडा ने भी दलील दी कि पुलिस ने बंद किये जा चुके मामले को खोला है जिसमें क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गयी थी और उसे रायगढ़ जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 16 अप्रैल, 2019 को स्वीकार कर लिया था। चैनल के सम्पादक अर्नब गोस्वामी पर 2018 में एक अन्वय नाइक और उनकी मां को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है।
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