नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार एवं अन्य शुक्रवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में यहां की एक अदालत में पेश हुए। कुमार दिसंबर 2017 में उनके खिलाफ जारी समन के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो के न्यायाधीश अरविंद कुमार के समक्ष उपस्थित हुए।
1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजेन्द्र कुमार पर अपने पद का दुरुपयोग कर दिल्ली सरकार के 9.5 करोड़ रुपये के ठेके को एक निजी कंपनी इंडेवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड(ईसीपीएल) को देने का आरोप है।
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भ्रष्टाचार के इस मामले में उन्हें चार जुलाई, 2016 को गिरफ्तार किया गया था और 26 जुलाई, 2016 को उन्हें जमानत मिल गई थी।
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल से पहले के इस मामले में सभी आरोपों से इंकार किया है।
मामले के अन्य आरोपियों में इंटेलिजेंट कम्युनिकेशन सिस्टम इंडिया लिमिटेड(आईसीएसआईएल) के प्रबंध निदेशक आर. एस. कौशिक और पूर्व प्रबंध निदेशक जी.के. नंदा, कुमार के सहयोगी अशोक कुमार, इंडेवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संदीप कुमार और दिनेश कुमार गुप्ता, वैट विभाग के पूर्व सहायक निदेशक तरुण शर्मा और माइक्रोसॉफ्ट के कर्मचारी जयदेव राठ और मुकेश मेहता के नाम शामिल हैं। ये सभी शुक्रवार को अदालत के समक्ष पेश हुए।
अदालत ने माइक्रोसॉफ्ट के कर्मचारी जयदेव राठ और मुकेश मेहता को यह देखते हुए जमानत दे दी कि दोनों को मामले की जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था और जब भी जरूरत पड़ी, उन्होंने जांच में सहयोग किया।
अदालत ने दोनों को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की जमानत जमा करने के आदेश दिए और बिना आज्ञा देश नहीं छोड़ने के आदेश दिए।
अदालत ने आरोपियों को आरोपपत्र की प्रति मुहैया कराने के सीबीआई को आदेश दिए और इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी मुकर्रर कर दी।