'पुरस्कार देने से पहले ली जाए सहमति', अवार्ड वापसी पर संसदीय समिति का सुझाव,...ताकि राजनीतिक वजहों से ना घटे मान
Award Wapsi Inappropriate: संसदीय समिति ने कहा, केंद्र सरकार से पुरस्कार प्राप्त करने वालों को सम्मान लेने से पहले अपनी लिखित सहमति देनी चाहिए। साथ ही, एक वचन पत्र पर हस्ताक्षर भी करना चाहिए।
Award Wapsi Inappropriate: केंद्र सरकार से पुरस्कार प्राप्त करने वालों को सम्मान लेने से पहले अपनी लिखित सहमति देनी चाहिए। साथ ही, एक वचन पत्र (Promissory Note) पर हस्ताक्षर भी करना चाहिए। दरअसल, राजनीतिक वजहों से अवार्ड विजेताओं के पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उसे लौटाने की प्रक्रिया को हतोत्साहित करने का प्रस्ताव देते हुए एक संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने अपनी बात रखी। गौरतलब है कि, हाल के वर्षों में ये प्रक्रिया चलन में है। इसे 'पुरस्कार-वापसी' के नाम से जाना जाता है।
पार्लियामेंट के मौजूदा सत्र में परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय समिति ने 24 जुलाई को संसद में 'राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों की कार्यप्रणाली' शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की। जिसमें ये बातें कही गई हैं।
अवार्ड लेने वाले से सहमति अवश्य ली जाए
YSRCP के विजय साई रेड्डी (Vijay Sai Reddy) की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, 'हमारा सुझाव है कि जब भी कोई पुरस्कार/अवार्ड दिया जाए, तो पाने वाले की सहमति अवश्य ली जानी चाहिए। ताकि, वह शख्स राजनीतिक वजहों से इसे वापस ना लौटाए। क्योंकि, ये देश के लिए अपमान की बात होती है।' आपको बता दें, समिति के प्रमुख सदस्यों में डॉ. सोनल मानसिंह (Dr. Sonal Mansingh), मनोज तिवारी (Manoj Tiwari), छेदी पहलवान, दिनेश लाल यादव 'निरहुआ', तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat), रजनी पाटिल (Rajni Patil), तापिर गाओ और राजीव प्रताप रूडी (Rajiv Pratap Rudy) शामिल थे।
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अकादमी तथा गैर राजनीतिक संगठन राजनीति के लिए नहीं
सरकार की तरफ से दिए जाने वाले पुरस्कारों को उचित ठहराते हुए, समिति ने कहा साहित्य अकादमी (Sahitya Akademi) तथा अन्य संस्थान गैर-राजनीतिक संगठन हैं। इन संगठनों में 'राजनीति वाद' के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।' समिति की रिपोर्ट में कहा गया, कि 'अकादमी द्वारा दिए गए पुरस्कारों और प्राप्तकर्ताओं द्वारा कुछ राजनीतिक मुद्दों के विरोध में अपने अवार्ड लौटाने के मामले सामने आए हैं। यह संबंधित अकादमी के 'स्वायत्त कामकाज' (Autonomous Functioning) और सांस्कृतिक अधिकार के दायरे से बाहर हैं। 'अवार्ड वापसी' से जुड़ी ऐसी अनुचित घटनाएं अन्य पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों को कमजोर करती हैं। पुरस्कारों की समग्र प्रतिष्ठा तथा सम्मान को भी ये प्रभावित करती हैं।'
'अवार्ड वापसी' वाले भविष्य में पुरस्कार के हकदार नहीं होंगे
संसदीय समिति ने ऐसे पुरस्कार विजेताओं की पुनर्नियुक्ति (Reappointment) पर भी सवाल खड़े किए, जो 'अकादमी' का अपमान करने के बाद इसमें शामिल हुए। समिति ने आगे कहा, 'एक ऐसी प्रणाली बनाई जा सकती है जहां अवार्ड के लिए स्वीकृति देते वक्त प्रस्तावित पुरस्कार विजेता से एक वचन लिया जाए। ताकि, पुरस्कार विजेता भविष्य में किसी भी समय पुरस्कार का अपमान न कर सके। ऐसे वचन के बगैर पुरस्कार नहीं दिए जा सकेंगे। अवार्ड लौटाए जाने की स्थिति में पुरस्कार विजेता भविष्य में पुरस्कार पाने का अधिकारी नहीं होगा।'