अयोध्या फैसला: BJP और RSS की नई नीति, मुस्लिम नेताओं संग बैठक

रामजन्मभूमि अयोध्या पर फैसला आने में कुछ ही दिन बाकी हैं। अयोध्या पर आने वाले फैसले को लेकर आरएसएस और भाजपा ने अपने मुस्लिम नेता अपने समुदाय के मौलाना और शिक्षाविदों से बात करेंगे।

Update: 2019-11-05 07:24 GMT

नई दिल्ली : रामजन्मभूमि अयोध्या पर फैसला आने में कुछ ही दिन बाकी हैं। अयोध्या पर आने वाले फैसले को लेकर आरएसएस और भाजपा ने अपने मुस्लिम नेता अपने समुदाय के मौलाना और शिक्षाविदों से बात करेंगे। इनमें जमीयत उलेमा ए हिंद के मुखिया मौलाना सैयद अरशद मदनी और शिया मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद भी सम्मिलित होंगे। बता दें कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में संघ परिवार के प्रतिनिधियों और मौलानाओं की इस तरह की एक बैठक मंगलवार को होनी है।

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बैठक में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों को न्योता

बीते हफ्ते ही एक बैठक में इस योजना की रूपरेखा तैयार की गई थी। इस बैठक में आरएसएस के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल, भाजपा के पूर्व आयोजन सचिव राम लाल (अब संगठन के कार्यक्रमों के प्रभारी) और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार शामिल हुए थे।

ऐसे में संघ परिवार ने ऐसे मुस्लिम नेताओं को नियुक्त किया, जिनकी मुस्लिम स्कॉलर और संस्थाओं के साथ अगले एक हफ्ते में 20 से अधिक बैठक होनी हैं।

इसके साथ ये भी बताया जा रहा है कि संघ के नेताओं ने मंगलवार को होने वाली बैठक में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों को भी इसमें शामिल होने के लिए न्योता भेजा है।

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सूत्रों के मुताबिक इस बैठक का अजेंडा अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में प्रभावशाली मुस्लिम आवाजों से अनुरोध करना है और समुदाय को इसे हिंदू-मुस्लिम मुद्दे के रूप में नहीं बल्कि 'एक हमलावर बाबर द्वारा किए गए गलत काम को अधिकार की लड़ाई के रूप में देखने' में मदद करना है।

ये आस्था का विषय है

इस मुद्दे पर अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सैयद गयरूल हसन रिजवी ने बताया, 'एक समुदाय के रूप में मुस्लिमों ने ऐसे कई टर्निंग पॉइंट्स मिस कर दिए जब इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाया जा सकता था।

आगे उन्होंने बताया कि यह एक हिंदू बहुल देश है और राम मंदिर आस्था का विषय है। मुस्लिमों को इस मुद्दे को मस्जिद और मंदिर से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है।' बीजेपी के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष अब्दुल राशिद अंसारी कहते हैं कि इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य समुदाय विशेष को यह बताना है कि सोशल मीडिया संदेशों के जरिए किसी को भी उत्तेजित नहीं होने देना है।

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इनके आवास में हो सकती है बैठक

इसके साथ ही इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष शिराजुद्दीन कुरैशी के अलावा उलेमा और यूनिवर्सिटी के प्रफेसर समेत कई संख्या में मुस्लिम शिक्षाविदों को मंगलवार को होने वाली बैठक में आमंत्रित किया गया है। यह बैठक नकवी के आवास में ही होने वाली है।

इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के चीफ एग्जिक्यूटिव अरुण आनंद के मुताबिक, 'देश का हित इसी में निहित है कि मुस्लिम दारा शिकोह और एपीजे अब्दुल कलाम को अपने रोल मॉडल के रूप में देखें और हमलावरों जैसे बाबर, औरंगजेब और गजनी की विरासत से खुद को दूर रखें।'

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