भारत की 'खतरनाक मिसाइल' की सच्चाई! जिससे कांप उठी दुनिया

असम के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित जिले तिनसुकिया का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया है। यहां लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलें तैनात करने की खबर आने के बाद दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस जिले पर गड़ गईं हैं।

Update:2020-01-10 14:31 IST

गुवाहाटी: असम के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित जिले तिनसुकिया का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया है। यहां लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलें तैनात करने की खबर आने के बाद दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस जिले पर गड़ गईं हैं।

आईसीबीएम एक गाइडेड मिसाइल है

हुआ ये कि पिछले साल दिसम्बर में अमेरिका की एक सैटेलाइट, लैंडसैट 8, ने तिनसुकिया रेलवे स्टेशन के पास जंगल की एक तस्वीर भेजी। ये सैटेलाइट एशिया-अफ्रीका में जंगल की स्थिति की मैपिंग कर रही थी। जो तस्वीर तिनसुकिया के पास की थी उसमें दिखाया गया कि घने जंगल में पेड़ों के नीचे ट्रेन का एक रेक छिपा हुआ है। इसका निष्कर्ष ये निकाला गया कि ये आईसीबीएम यानी इंटर कांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल से लदा रेक है। आईसीबीएम एक गाइडेड मिसाइल है जिसकी रेंज कम से कम 5500 किलोमीटर होती है। आज अमेरिका, चीन, रूस, उत्तर कोरिया, ईरान और भारत के पास ऐसी मिसाइलें हैं।

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सैटेलाइट की फोटो के बाद सवाल ये उठे कि...

बहरहाल, सैटेलाइट की फोटो के बाद सवाल ये उठे कि क्या वाकई में भारत ने तिनसुकिया रेलवे स्टेशन के पास जंगल में छिपा कर ऐसा रेक खड़ा कर रखा है? अमेरिकी सैटेलाइट द्वारा फोटो खींचे जाने के बाद रूस और चीन ने भी टोह लेना शुरू कर दिया। इस पर भारतीय एजेंसियों के कान खड़े हुए कि सैकड़ों मीलों ऊपर आसमान में घूम रही विदेशी सैटेलाइटों की रुचि अचानक तिनसुकिया के बारे में क्यों हो गई है।

विदेशी सैटेलाइटों की असामान्य गतिविधियों से सतर्क हो कर डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), रक्षा मंत्रालय और सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी भी पता लगाने में जुट गए। एक टीम उस जगह पर भेजी गई। बताया जाता है कि जांच में पता चला कि तिनसुकिया रेलवे स्टेशन के पास जंगल में वाकई में एक ट्रेन का रेक छिपा हुआ है।

रेलवे द्वारा की गई जांच में सामने आया कि

1976 में एक रेक तिनसुकिया रेलवे स्टेशन आया था जिसे स्टेशन से कुछ दूरी पर खड़ा कर दिया गया। क्योंकि ये स्टेशन तब बहुत छोटा हुआ करता था और ज्यादा प्लटफार्म भी नहीं थे। संयोग की बात है कि इसी दिन अचानक इस क्षेत्र में जबर्दस्त बारिश हुई जिससे रेलवे स्टेशन समेत समूचा इलाका जलमग्न हो गया।

अगले कुछ दिनों तक रेलवे के अधिकारी स्टेशन को दुरुस्त करने, सिग्नलों व पटरियों की मरम्मत करने तथा ट्रेनों के आवागमन को चालू करने के काम में जुटे रहे और उस रेक पर किसी का ध्यान ही नहीं गया। जल्द ही ये रेक झाडिय़ों - लताओं में छिप सा गया। जिन लोगों को इस रेक के बारे में पता था वे सब समय के साथ इधर-उधर ट्रांसफर कर दिए गए। इतने सालों तक किसी ने इस रेक की सुध नहीं ली। अब 2019 में सैटेलाइट की फोटो आने के बाद इस ओर ध्यान दिया गया।

इस बारे में उत्तर पूर्व के मीडिया जैसे कि एएनआई टाइम्स नाऊ, न्यूज्ड, और रक्षा संबंधी साइट्स डिफेंसवल्र्ड, डिफेंस एविएशन पोस्ट, में समाचार प्रकाशित हुए थे। नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि इस खबर को पुष्टि करने के लिए उनके पास कोई सूचना नहीं है। रेलवे जांच की भी कोई जानकारी नहीं है।

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