Bankim Chandra Jayanti: वन्दे मातरम के रचयिता ने अपने साहित्य प्रेम से किया भारतीयों के दिलों पर राज, जानिए जीवनी
Bankim Chandra Chatterjee: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, भारतीय साहित्य के ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं, जिनके जन्मदिन को हर साल मनाया जाता है। उनके 185वें जन्मदिवस पर जाने के उनके जीवन से जुडी कुछ बातें
Bankim Chandra Chatterjee: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, भारतीय साहित्य के ऐसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं, जिनके जन्मदिन को हर साल मनाया जाता है। इनका जन्म 26 जून, 1838 को बंगाल के नाजीपुर ग्राम में हुआ था। बंकिम चंद्र का बचपन बंगाल के सुन्दरबन छेत्र में बीता, जहां वन्य जीवों और प्रकृति के साथ वक्त बिताने का अद्वितीय अनुभव मिला। चट्टोपाध्याय ने कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में स्नातक की पढ़ाई की। उनके 185वें जन्मदिवस पर जाने के उनके जीवन से जुडी कुछ बातें
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
वे एक तेजस्वी स्वतंत्रता सेनानी भी थे और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लिखते रहे। सरकारी नौकरी में कार्यरत होने के करमन वह स्वंत्रता संग्राम में अपनी भागीदारी नहीं दे सकते थे। उनके साहित्य प्रेम और हिंदी, बांग्ला तथा संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञान ने ब्रिटिश शाशन के खिलाफ लिखने पर उन्हें उत्साहित किया। चट्टोपाध्याय ने "बंगदर्शन" नामक पत्रिका की स्थापना की, जो राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने के लिए एक माध्यम बनी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया स्वर दिया और हिंदी साहित्य को एक नयी दिशा दी। उनका जन्मदिन एक महत्वपूर्ण अवसर है जब हम उनके समर्पण और योगदान को याद करते हैं।
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एक महान भारतीय लेखक
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय एक महान भारतीय लेखक, कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी रचनाएं हिंदी और बंगाली भाषाओं में हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख रचनाएं "आनंदमठ", "देवी चौधुरानी", "ग्रामेय विकास" और "दुर्गेशनन्दिनी" हैं। उनकी लेखनी में भारतीय संस्कृति, स्वतंत्रता और प्रेम की उच्चता को जीवंत किया गया है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के साहित्यिक योगदान अपार हैं। उन्हें उनकी धूमिल कथा "आनंदमठ" (1882) के लिए सर्वोच्च पहचान प्राप्त हुई, जिसने बाद में मशहूर गाना "वन्दे मातरम्" बना दिया, जो बाद में भारतीय राष्ट्रीय गान बना। चट्टोपाध्याय को 'बंगाली राष्ट्र कवि' का उपाधि दिया गया है और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनकी रचनाएं राष्ट्रवाद, समाजवाद, मानवता और धर्म के मुद्दों को छूने वाली हैं।
11 वर्ष की उम्र में हुआ विवाह
बंकिम चंद्र चटर्जी का विवाह तब हुआ जब वे केवल ग्यारह वर्ष के थे। उस वक्त उनकी पत्नी महज पांच साल की थीं। बंकिम चंद्र चटर्जी केवल बाईस वर्ष के थे जब उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। कुछ समय बाद उन्होंने दोबारा शादी कर ली। उनकी दूसरी पत्नी राजलक्ष्मी देवी थीं। उनकी तीन बेटियां थीं लेकिन कोई बेटा नहीं था।
बंकिम चंद्र चटर्जी की मृत्यु
8 अप्रैल 1894 को इस महान साहित्य सेवी और देशसेवी का निधन हो गया। इससे बांग्ला साहित्य और समाज के साथ-साथ पूरे देश को गहरा आघात पहुंचा।