गोगोई से पहले ये पूर्व CJI भी जा चुके हैं राज्यसभा, इन फैसलों के लिए किए जाते हैं याद
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अब राज्यसभा जाएंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है। यहां बता दें कि राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किये जाते हैं। ये सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियां होती हैं। रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर हुए थे।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अब राज्यसभा जाएंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है। यहां बता दें कि राज्यसभा में 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किये जाते हैं। ये सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियां होती हैं। रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर हुए थे। वह पूर्वोत्तर से सर्वोच्च न्यायिक पद पर पहुंचने वाले शख्स हैं। लेकिन बता दें कि गोगोई ही नहीं इनसे पहले भी दो पूर्व सीजेआई राज्यसभा जा चुके हैं, जिन्हें कांग्रेस ने नामित किया था।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाले पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को सोमवार को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया। इस फैसले पर कांग्रेस ने कटाक्ष भी किया है। लेकिन बता दे कि खुद कांग्रेस ने भी अपने कार्यकाल मे ऐसा काम किया है। 1988 में कांग्रेस के कार्य काल में एक पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के लिए नामित किया जा चुका है वो कोई और नहीं रंगनाथ मिश्रा थे जो रिटायरमेंट के 6 साल बाद राज्यसभा के लिए नामित हुए। उनका कार्यकाल 1998 से 2004 तक था। वे देश के 21 वे न्यायधीश थे और उनका कार्यकाल-1990-91 था। जस्टिस मिश्रा 1983 में सुप्रीम कोर्ट में नियु्क्त हुए थे और 1991 में सीजेआई बने।
ये भी राज्यसभा जा चुके हैं..
रंगनाथ मिश्रा भी चीफ जस्टिस के पद से रिटायर होने के बाद राज्यसभा के लिए मनोनीत हो चुके हैं।रंगनाथ मिश्र देश के 21 वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(सीजेआई)रहे हैं।कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा था।पूर्व सीजेआई रंगनाथ मिश्र को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था। 1998 से 2004 तक वो राज्यसभा सांसद रहे। 1984 के सिख दंगों की जांच आयोग के वह अध्यक्ष थे। इन्होंने सिख दंगे को क्लीन चिट दी थी। रंगनाथ मिश्रा ने कई अहम फैसले अपने कार्यकाल के दौरान दिए थे।
बता दे कि केवल गोगोई व मिश्रा ही नहीं, इनसे पहले देश 11 वें सीजेआई मोहम्मद हिदायतुल्लाह राज्यसभा के लिए नामित हुए है और राज्यसभा के सभापति के साथ देश के उपराष्ट्रपति भी बने।
गोगोई के अहम फैसले कुछ सरकार पक्ष में, कुछ विरोध मे
पहला फैसला: अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में जस्टिस रंजन गगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने विवादित भूमि पर राम मंदिर बनाने का फैसला दिया। मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दूसरी जगह दिए जाने का भी आदेश दिया।
दूसरा मामला: राफेल विमान सौदे में लगे घोटाले के आरोपों को लेकर जस्टिस गोगोई ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दी। सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर हुईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
तीसरा फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान पर माफी मांगने को कहा था। इस मामले में भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने याचिका दाखिल की थी।
चौथा फैसला: सबरीमाला मंदिर महिलाओं के प्रवेश को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2018 के फैसले को बरकरार रखा था और मामला सात सदस्यीय संविधान पीठ को भेज दिया था।
पांचवा मामला: वित्त कानून-2017 के संशोधन को लेकर था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यी पीठ ने कानून में संशोधनों को लेकर रोक लगा दी थी और मामला सात सदस्यीय पीठ को भेज दिया था।
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विवादों में भी रहा था कार्यकाल
जस्टिस और चीफ जस्टिस के तौर पर न्यायमूर्ति गोगोई का कार्यकाल कुछ विवादों और व्यक्तिगत आरोपों से अछूता नहीं रहा, लेकिन यह कभी भी उनके न्यायिक कार्य में आड़े नहीं आया और इसकी झलक बीते कुछ दिनों में देखने को मिली जब उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने कुछ ऐतिहासिक फैसले दिए। अयोध्या के अलावा उन्होंने जिन प्रमुख मुद्दों पर फैसले दिए हैं, उनमें असम एनआरसी, राफेल, सीजेआई ऑफिस आरटीआई के दायरे में आदि शामिल हैं। गोगोई के नामित होने पर कांग्रेस कटाक्ष कर रही है और कह रही है कि न्यायपालिका से जनता का विश्वास कम होगा तो खुद कांग्रेस भी ये काम कर चुकी है जिसका इतिहास गवाह है।