भीमा-कोरेगांव: पुलिस ने कहा- सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे गिरफ्तार ऐक्टिविस्ट

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग और माओवादियों से जुड़े लोग दलितों को लामबंद करने की कोशिश में जुटे थे। ताकि बीजेपी की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का सीपीआई (माओवादी) का मकसद पूरा किया जा सके। महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से यह बातें कहीं हैं।

Update:2019-03-13 20:48 IST

मुंबई: भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग और माओवादियों से जुड़े लोग दलितों को लामबंद करने की कोशिश में जुटे थे। ताकि बीजेपी की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का सीपीआई (माओवादी) का मकसद पूरा किया जा सके। महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से यह बातें कहीं हैं।

पुणे के पुलिस उपायुक्त शिवाजी पवार ने आरोपियों में एक अरूण फरेरा की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह बातें कही हैं। पुलिस फरेरा के अलावा आठ अन्य माओवादियों को भी गिरफ्तार कर चुकी है। इनके नाम वरनोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज, पी.वरवरा राव, गौतम नवलखा और आनंद तेलुम्बडे हैं।

महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा और माओवादियों के साथ संबंध रखने के सिलसिले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता सरकार को उखाड़ फेंकने के सीपीआई (माओवादी) के मंसूबे को पूरा करने के लिए दलितों को लामबंद कर रहे थे।

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पुणे की पुलिस ने अपने हलफनामे में बताया है कि फरेरा और अन्य आरोपित प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के वरिष्ठ सदस्य हैं। वह सक्रिय रूप से प्रतिबंधित संगठन की गैर कानूनी गतिविधियों का समर्थन ही नहीं कर रहे बल्कि सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उसमें भागीदारी भी निभा रहे हैं।

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हलफनामे के मुताबिक जांच के दौरान खुलासा हुआ कि सीपीआई (माओवादी) का मंसूबा राजनीतिक सत्ता हथियाना है। उसमें कहा गया है, 'इस उद्देश्य को हासिल करने की दृष्टि से संगठन लोगों को सैन्य और राजनीतिक रूप से बड़े पैमाने पर लामबंद कर न केवल पारंपरिक लड़ाई बल्कि जनयुद्ध भी छेड़ रहा है।'

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पुलिस ने हलफनामे में कहा, 'सीपीआई (माओवादी) दलितों के बीच पार्टी को खड़ा करने का विशेष प्रयास कर रही है। वह अपने मंसूबे को हासिल करने के लिए दलितों को उनके आत्मसम्मान, ऊंची जातियों की सामंती शक्तियों द्वारा भेदभाव, उत्पीड़न और शारीरिक हमले के खिलाफ बड़े पैमाने पर संघर्ष के लिए लामबंद करने की कोशिश करती है।' पुलिस ने कहा कि 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद की बैठक में फरेरा और अन्य आरोपियों ने उत्तेजक, भड़काऊ और विद्रोही भाषण दिया तथा उसमें बड़ी संख्या में दलित संगठनों ने हिस्सा लिया।

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