भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़ित छात्रा ने आरोपियों को चौराहे पर फांसी की सजा देने की मांग की है। उसका कहना है कि पुलिस का रवैया ठीक नहीं है। राजधानी के हबीबगंज क्षेत्र में पीड़िता एक नवंबर की रात को कोचिंग से लौट रही थी, तभी उसके साथ चार युवकों ने सामूहिक दूष्कर्म किया। पीड़ित युवती जब थाने शिकायत दर्ज करने गई तो उसे एक से दूसरे थाने भगाया गया। इससे पीड़िता काफी आहत है।
हादसे के बाद पहली बार सामने आई पीड़िता ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, "कोई भी अपराधी दोबारा ऐसा करने का साहस न करे, इसलिए कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, उन्हें मार देना चाहिए, चौराहे पर फांसी की सजा दी जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।"
युवती का कहना है, "सबसे बुरा रवैया तो पुलिस का रहा जोकि उन्हें एक थाने से दूसरे थाने भटकाती रही, हमारे माता-पिता पुलिस में हैं और हमें इस स्थिति से गुजरना पड़ा, तो आम आदमी किन स्थिति का सामना करता होगा, इसे समझा जा सकता है।"
युवती ने कहा, "मुझे अफसोस तो इस बात की है कि आरोपी को पुलिस ने पकड़ लिया मगर मेरी श्किायत दर्ज नहीं की। घटना के दूसरे दिन हम लोग सुबह आठ बजे थाने पहुंचे थे, एमपी नगर थाने के सब इंस्पेक्टर ने मौके का मुआयना किया, मगर अपने क्षेत्र में न आने की बात कह दी। मौके पर माता-पिता के साथ पहुंचे तो वहां एक युवक ताश के पत्ते खेल रहा था, उसे पकड़ा तो कुछ लोगों ने हमला कर दिया, बाद में उसे पकड़कर हम लोग पुलिस स्टेशन ले गए।"
युवती ने कहा, "हबीबगंज थाने की पुलिस और वहां के टीआई अंकल का रवैया सहयोगात्मक था। एमपी नगर और जीआरपी पुलिस का रवैया ठीक नहीं था। इतना ही नहीं रेलवे की पुलिस अधीक्षक का इस घटना पर उपहास करना निराशाजनक है।"
गौरतलब है कि एक पुलिसकर्मी दंपति की बेटी के साथ एक नवंबर की रात को सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इस मामले में तीन थाना प्रभारी एमपी नगर थाने के प्रभारी संजय सिंह बैस, हबीबगंज थाने के प्रभारी रविंद्र यादव, जीआरपी हबीबगंज के थाना प्रभारी मोहित सक्सेना, दो उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) टेकराम और उइके को निलंबित किया जा चुका है। इसके साथ ही एमपी नगर क्षेत्र के नगर पुलिस अधीक्षक कुलवंत सिंह को मुख्यालय में संलग्न कर दिया गया।
-- आईएएनएस