Black Money Cases in India: काला धन एक बड़ी बीमारी, ज्यों ज्यों दवा की, दर्द बढ़ता गया
Black Money Cases in India: लालू यादव ने चारा घोटाले को लेकर बहुत नाम कमाया। चौटाला परिवार का तक़रीबन हर सीनियर सदस्य जेल की हवा खा आया। टीचर भर्ती घोटाले ने इस परिवार के भ्रष्टाचार की कलई खोल कर रख दी। उद्धव ठाकरे के खास, संजय राउत पात्रा चॉल स्कैम के तहत बीते रविवार को गिरफ्तार हुए हैं।
Black Money Cases in India: दर्द बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की। यह मुहावरा भारत में काली कमाई और करप्शन के खिलाफ कार्रवाईयों का परिणाम बता रहा है। किसी भी सरकार ने दावे चाहे जो किये हों, पर हर सरकार काले धन के खिलाफ अभियान में फिसड्डी ही साबित हुई है। वह भी तब जबकि काले धन के सवाल पर देश की कई सरकारें जा चुकी हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1989 में मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले राजीव गांधी की सरकार इसी कालेधन के हथियार से ज़मींदोज़ कर दी थी। 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार को भी अन्ना हज़ारे के आंदोलन व रामकृष्ण यादव यानी बाबा रामदेव के अनशन ने ऐसा हिलाया कि कांग्रेस गये दिनों की बात लगने लगी। भाजपा ने नरेंद्र मोदी को आगे कर सरकार बना ली। मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कड़े कदम उठाये। पर दूसरी पार्टी की राज्य सरकारों में भ्रष्टाचार रोकना तो दूर की बात है। उनकी पार्टी की सरकारें भी खुद को भ्रष्टाचार से दूर नहीं रख पायीं।
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बोफ़ोर्स घोटाले के साथ ही साथ yogeshभ्रष्टाचार के जिस सवाल को लेकर जन जागरण किया, उनकी सरकार भी खुद को उससे दूर नहीं रख पाई। बाद में पता चला कि राजीव गांधी व विश्वनाथ प्रताप सिंह के बीच लड़ाई ईमानदारी बनाम बेईमानी की नहीं बल्कि अपने अपने चहेते उद्योगपतियों को आगे करने को लेकर थी। कमोबेश यही स्थिति 2014 के आंदोलन की हुई। सीएजी रहे विनोद राय की रिपोर्ट कोर्ट में औंधे मुँह गिर पड़ी। अरविंद केजरीवाल ने इंडिया अगेंस्ट करेप्शन बनाया। इसी के बैनर तले अन्ना हज़ारे का चेहरा उतारा गया था। आज उनके ही मंत्री सत्येंद्र जैन काली कमाई व काली करतूत के चलते जेल में हैं, पर अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बर्खास्त करने की हिम्मत नहीं दिखाई। ममता बनर्जी अपनी ईमानदारी की दुहाई देते नहीं थकती, सूती साड़ी व हवाई चप्पल पहनती हैं, पर उनके मंत्री पार्थ चटर्जी की निकट सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से 52 करोड़ कैश व 06 किलो सोना निकलता है। हाँ, ममता अरविंद केजरीवाल की तरह निर्लज्ज नहीं निकलीं। उनने अपने मंत्री को बर्खास्त किया। आय से अधिक संपत्ति के मामले में अखिलेश यादव, मायावती, सुखबीर सिंह बादल व जयललिता जाँच की जद में रहे। जगन रेड्डी पर एक दर्जन से अधिक काली कमाई की शिकायतें व जाँचें हैं, कई मामलों में वह ज़मानत पर हैं। क्रिकेट घोटाला व रोशनी एक्ट के तहत महबूबा व फारूक अब्दुल्ला समेत कई नेताओं की काली करतूत खुल चुकी है। माइनिंग घोटाले वाले मधु कोडा का नाम सबको याद है।
लालू यादव ने चारा घोटाले को लेकर बहुत नाम कमाया। चौटाला परिवार का तक़रीबन हर सीनियर सदस्य जेल की हवा खा आया। टीचर भर्ती घोटाले ने इस परिवार के भ्रष्टाचार की कलई खोल कर रख दी। उद्धव ठाकरे के खास, संजय राउत पात्रा चॉल स्कैम के तहत बीते रविवार को गिरफ्तार हुए हैं।
करुणानिधि के परिजनों व शरद पवार के आर्थिक साम्राज का अंदाज़ा लगाना संभव नहीं है। राहुल व सोनिया भी नेशनल हेराल्ड केस में जाँच की जद में हैं। चंद्र बाबू नायडू अमरावती भूमि घोटाले में फँसे हैं। जयललिता व शाशिकला की चल अचल संपत्तियों का ब्योरा उनकी काली कमाई की पोल खोलने के लिए काफ़ी हैं। इस तरह देखें तो देश में जो भी क्षेत्रीय क्षत्रप हैं, केवल नवीन पटनायक को छोड़, सब के सब काली कमाई व काली करतूत में मौसेरे भाई हैं।
इनके ख़िलाफ़ जाँच एजेंसियाँ - ईडी व सीबीआई लगी हैं, तो कहा जा रहा है कि सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई जा रही है कि जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग रोके, गिरफ़्तारी न हो आदि इत्यादि । पर जब जाँच एजेंसियाँ के हाथ भूसे के मानिंद रखी पहाड़ सी करेंसी व सोना चाँदी लग रही है फिर भी हया नहीं आती। अनगिनत इमारतों व भूखंड के काग़ज़ शर्मसार नहीं करते। जाँच एजेंसियों की सक्रियता का ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ने वालों को यह जानकर आश्चर्य होना चाहिए कि पिछले पाँच साल में 5520 करोड़ रुपये का काला धन निकल पाया है। साल दर साल सक्रियता और छापेमारी बढ़ रही है तो नकदी, गोल्ड, संपत्तियों, जेवरात वगैरह की बरामदगी की वैल्यू भी कई कई गुना बढ़ती जा रही है।
इसके कई निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। आप कह सकते हैं कि अब भ्रष्टाचार पर ज्यादा सख्ती हो रही है। लेकिन यह भी कह सकते हैं कि समय के साथ साथ काली कमाई बेलगाम बढ़ रही है । तभी तो अब 100-200 करोड़ रुपये से ज्यादा की बरामदगी मामूली बात लगने लगी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक़ भारतीयों का सकल घरेलू उत्पाद का 50 फ़ीसदी कालाधन विदेशों में है। सीबीआई के अनुसार यह 25 लाख करोड़ रुपये है। जबकि विश्व बैंक के अनुसार यह राशि सकल घरेलू उत्पाद का 20 फ़ीसदी है।अमेरिकी थिंकटैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कि विदेशों में जमा हो रहे काले धन के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। 2012 में ही उसका करीब 94.76 बिलियन यूएस डॉलर (करीब 6 लाख करोड़ रुपए) अवैध धन विदेशों में जमा हुआ।
ग्लोबल फाइनैंशल इंटेग्रिटी (जीएफआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2003 से 2012 के बीच भारत का कुल 439.59 बिलियन यूएस डॉलर यानी करीब 28 लाख करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा हुआ। पिछले एक साल में भारतीयों द्वारा जमा धनराशि में 286 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह पिछले तेरह सालों में सबसे अधिक है।
लेकिन ऐसा लगता है कि काली कमाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाईयां "हाइड्रा" का सिर काटने की भांति हैं। कई सिर वाले हाइड्रा का एक सिर काटो तो तुरंत दो नए सिर उग आते हैं। नेताओं की आमदनी दो तीन सौ फ़ीसदी सालाना की दर से बढ़ रही है। जनता व नेता की आमदनी में कोई अनुपात ही नहीं है। फिर यह कहा जा रहा हो कि मोदी सरकार परेशान कर रही है, जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। तो बस यही कहा जा सकता है - "बलिहारी भाई आपकी।"