बिहार महागठबंधन में लगी गांठ, JMM ने राजद को बताया राजनीतिक मक्कार

झामुमो ने साफ किया कि, पार्टी सम्मान के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। बिहार चुनाव में उसे किसी सियासी ख़ैरात की ज़रूरत नहीं है।

Update: 2020-10-06 15:21 GMT
झामुमो को आज राजनीतिक मर्यादा याद आ रही है जबकि, पार्टी को स्वयं आत्ममंथन करना चाहिए।

रांची: बिहार में महागठबंधन में गांठ लगती नज़र आ रही है। सीट नहीं मिलने से नाराज़ झारखंड की सत्ताधारी दल झामुमो ने अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। जेएमएम 07 सीटों पर चुनावी मैदान में किस्मत आज़माएगा।

पार्टी ने राजद पर तीखा हमला बोलते हुए उसे राजनीतिक तौर पर मक्कार क़रार दिया है। झामुमो ने साफ किया कि, पार्टी सम्मान के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। बिहार चुनाव में उसे किसी सियासी ख़ैरात की ज़रूरत नहीं है।

 

झामुमो की किन सीटों पर नज़र

 

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य की मानें तो पार्टी ने शुरुआती तौर पर सात सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मन बनाया है। बिहार में पार्टी का संगठन मज़बूत है। जेएमएम अपने दम पर चुनावी नैया पार लगाएगी। पार्टी ने चकाई, झाझा, कटोरिया, धमदाहा, नाथनगर, मनिहारी और पीरपैंती से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। हालांकि, बाद में इसमें बदला की गुंजाइश है।

 

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राजद ने सीट देने का किया था वादा

 

पटना में महागठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया था। इसमें तेजस्वी यादव ने झामुमो को भी सीटें देने की बात कही थी। जेएमएम को भी भरोसा था कि, उसे सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। हालांकि, कई दिन इंतज़ार करने के बाद भी जब कोई सूचना नहीं मिली तो झामुमो ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

 

सोशल मीडिया से फोटो

झारखंड में साथ-साथ, बिहार में अलग राह

 

झारखंड में झामुमो, कांग्रेस और राजद ने मिलकर सरकार बनाई है। झारखंड चुनाव में राजद ने 07 सीटों पर प्रत्याशी उतारे लेकिन उसे मात्र 01 सीट पर ही कामयाबी मिली। गठबंधन धर्म का पालन करते हुए राजद के एक विधायक को मंत्री बनाया गया।

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि, राजद अपने पुराने दिनों को भूल गया है जब उसके प्रदेश कार्यालय में कोई दीया जलाने वाला नहीं था। झामुमो ने त्याग कर सीटें दी और राजद विधायक को मंत्री बनाया लेकिन आरजेडी राजनीतिक शिष्टाचार भूल गई है।

 

झारखंड में झामुमो-राजद रिश्तों पर असर

 

इस बात में कोई शक नहीं है कि, झामुमो अगर बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ती है तो इसका प्रभाव झारखंड पर भी पड़ेगा। खुद जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि, भविष्य में राजद के साथ संबंधों की समीक्षा होगी।

खास बात ये भी है कि, राजद के एक विधायक के चले जाने से हेमंत सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार के पास बहुमत से अधिक सीटें हैं। मुश्किल राजद को है जो झारखंड में वर्षों बाद सत्ता में वापसी की है। डूबती नैया को तिनके का सहारा मिला है। ऐसे में राजद कोई भी ज़ोख़िम लेना नहीं चाहेगा।

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झारखंद राजद की सफाई

 

झामुमो-राजद के बीच बढ़ते विवाद के बीच प्रदेश आरजेडी ने मामला सुलझ जाने का भरोसा जताया है। पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता अनीता यादव ने कहा कि, एक से दो दिन में तेजस्वी यादव मामले का पटाक्षेप कर देंगे। राजद अपना वादा निभाना जानती है। साथ ही पार्टी को त्याग करना भी आता है।

पार्टी प्रवक्ता ने झारखंड चुनाव को लेकर कहा कि, विधानसभा चुनाव में राजद ने भी त्याग किया था। आरजेडी के प्रभाव की कई सीटों को छोड़ दिया गया था। महागठबंधन के लिए खुद लालू प्रसाद यादव त्याग करते आए हैं। लिहाज़ा, झामुमो को भी स्वार्थ से ऊपर उठकर बलिदान करना चाहिए।

 

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भाजपा ने ली चुटकी

झामुमो-राजद के बीच विवाद को लेकर प्रदेश भाजपा ने चुटकी ली है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने कहा कि, एकबार फिर महागठबंधन ठगबंधन साबित हुआ है। केली बंगला में लालू प्रसाद यादव की मेहमान नवाज़ी भी झामुमो को काम नहीं आई है। उन्होने कहा कि, झामुमो को आज राजनीतिक मर्यादा याद आ रही है जबकि, पार्टी को स्वयं आत्ममंथन करना चाहिए।

 

रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट

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