Bihar Politics: प्रशांत किशोर ने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात, जानें क्या है प्लान?

Bihar : सीएम नीतीश और पीके के बीच पिछले कुछ दिनों से जारी जुबानी जंग दोनों के बीच रिश्तों में आई खटास को बयां करती है। मगर, अब नजारा कुछ और ही है। दोनों बदले-बदले नजर आ रहे हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-09-14 14:08 IST

प्रशांत किशोर ने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात

Bihar Politics : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) के एनडीए छोड़ने के बाद से बिहार की राजनीति दिलचस्प मोड़ ले चुकी है। सीएम नीतीश साल 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर राष्ट्रीय मीडिया में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। इतनी ही सुर्खियां वो नेता भी बटोर रहे हैं, जो कभी उनके साथ हुआ करते थे।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) लगातार उन पर हमलावर हैं। आरसीपी-पीके औऱ सीएम नीतीश के बीच 'तु-तड़ाक' से 'औकात' तक बात पहुंच चुकी है। ऐसे तनाव भरे माहौल के बीच बिहार की सियासत से एक और बड़ी खबर सूत्रों के हवाले से सामने आई है।

नीतीश-पीके फिर साथ-साथ !

एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के साथ होने की खबरें बिहार के सियासी हलकों में जोर पकड़ने लगी है। नीतीश कुमार ने जब से एनडीए छोड़ा है, तब से पीके उनपर हमलावर हैं। लेकिन अब खबर सामने आ रही है कि दोनों नेताओं के बीच फिर से राजनीतिक समीकरण बनने वाले हैं। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में चर्चित नारा 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है' देकर रातों-रात समीकरण बदल देने वाले प्रशांत किशोर फिर से बिहार सीएम के लिए कोई नया नारा गढ़ते नजर आ सकते हैं।

सीएम हाउस में हुई मुलाकात

सीएम नीतीश और पीके के बीच पिछले कुछ दिनों से जारी जुबानी जंग दोनों के बीच रिश्तों में आई खटास को बयां करती है। लेकिन, बताया जा रहा है कि वक्त की जरूरत को समझते हुए बिहार सीएम अब पीके को फिर से अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने उन्हीं पवन कुमार वर्मा को काम पर लगाया है, जिन्हें साल 2019 में सीएम नीतीश ने पीके के साथ पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। पूर्व राजदूत पीके वर्मा ने प्रशांत किशोर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच मुलाकात सीएम हाउस में करवाई।

पवन वर्मा भी आ रहे नीतीश के करीब 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मंगलवार की शाम पटना के एक अन्ने मार्ग स्थित सीएम हाउस में प्रशांत किशोर, पवन वर्मा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच लंबी बातचीत हुई। इस दौरान बिहार के ताजा सियासी हालत के साथ – साथ नीतीश कुमार के द्वारा देशभर में सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के अभियान पर भी तीनों नेताओं के बीच गंभीर बातचीत हुई है। हालांकि, इस मुलाकात को लेकर किसी भी पक्ष ने मीडिया के सामने कुछ भी नहीं कहा है।

JDU में PK की एंट्री?

कभी जदयू में नंबर दो की हैसियत रखने वाले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) सीएम नीतीश के काफी करीब हुआ करते थे। सीएम आवास में ही वह रहा करते थे। साल 2019 में पार्टी से निकाले जाने के बाद भी विभिन्न मौकों पर दोनों के साथ आने की अटकलें हवा में उड़ती रहीं हैं। पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच जारी जुबानी जंग से लग रहा था कि अब दोनों के बीच रिश्ते एकदम निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता, दोनों नेताओं के बीच हालिया मुलाकात से एक बार फिर तय हो गया है।

बताया जा रहा है कि पीके के जदयू से बाहर करने में आरसीपी सिंह की बड़ी भूमिका थी। अब जब सिंह पार्टी से बाहर हो चुके हैं और नीतीश कुमार के दुश्मन नंबर 1 बन चुके हैं, तब जदयू में किशोर की वापसी का रास्ता एक बार फिर खुल चुका है। नीतीश कुमार के बाद जदयू में कोई उस कद का नेता नहीं है, जो उनकी जगह ले सके। ऐसे में पीके जदयू के भविष्य हो सकते हैं। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि अगर वो पार्टी में दोबारा शामिल भी होंगे तो इसी शर्त पर।

नीतीश के खिलाफ पीके का कठोर बयान

कांग्रेस में एंट्री की विफल कोशिश के बाद से प्रशांत किशोर काफी  समय से बिहार में जमे हुए हैं। फिलहाल वह बिहार में जन सुराज अभियान (Jan Suraj Abhiyan) चला रहे हैं। आगामी 2 अक्टूबर 'गांधी जयंती' के दिन वह अपनी पदयात्रा की शुरुआत करेंगे। किशोर अपनी सभाओं में नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोलते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सीएम नीतीश को लेकर उनके द्वारा दिए गए बयान काफी चर्चा में हैं। 

पीके ने कहा, कि लोगों में नीतीश सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वो बिहार के किसी पंचायत में बगैर सुरक्षा के 200 लोगों की बैठक करके दिखाएं। अपने एक अन्य बयान में उन्होंने कहा कि अगर उन्हें फेविकोल कंपनी का मालिक मिलेगा तो वे उन्हें नीतीश कुमार को अपनी कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनाने की सलाह देंगे। क्योंकि सरकार किसी की भी हो लेकिन वो कुर्सी से चिपके रहते हैं।

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