चीन की खूनी रात: भारतीय सेना ने इस तरह सिखाया था सबक, मची जिससे तबाही
15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में देश के कर्नल सहित 2 जवानों की शहादत का बदला बिहार रेजीमेंट ने उसी रात को ले लिया था।
नई दिल्ली। 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में देश के कर्नल सहित 2 जवानों की शहादत का बदला बिहार रेजीमेंट ने उसी रात को ले लिया था। कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू की मौत से देश के जवानों ने चीनी खेमे में ऐसी तबाही मचाई, जिसे चीन आज भी स्वीकार करने को राजी नहीं है। इसमें गलवान घाटी में तैनात आर्टिलरी रेजीमेंट के सिख जवानों ने भी गजब का शौर्य दिखाया था।
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‘जय बजरंग बली’ और ‘बिरसा मुंडा’ की जय
गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प पर तैयार सिचुएशन रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सैनिकों के नुकीले डंडों के हमले में संतोष बाबू और जवानों के शहीद होने के बाद बिहार रेजीमेंट के जवानों ने करीब 200 मीटर दूर बेस से बंदूकें लेकर नली पर संगीन लगाया।
देर रात के अंधेरे में करीब 40 जवान रेजीमेंट के वार क्राई ‘जय बजरंग बली’ और ‘बिरसा मुंडा’ की जय बोलते हुए चीनी खेमे पर धावा बोल दिया।
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जवाबी हमले
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अंधेरे में अचानक हुए बायोनट फाइट (संगीन से लड़ाई) हमले में चीनी सैनिक जमीन पकड़ने लगे। हालांकि कुछ देर में चीनियों की तरफ से जवाबी हमले हुए लेकिन तब तक भारतीय सैनिक अपना काम कर चुके थे।
इसके साथ ही आर्टिलरी रेजीमेंट के सिख सैनिकों कई चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ डाली। इस हिंसक झड़प में भारतीय जवानों को भी गंभीर चोटें आईं, जिसमें 18 जवानों की मौत हुई। अंधेरे और आपाधापी में चीनी जवानों की मौत की संख्या का सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सका।
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भारतीय जवानों को छोड़ा गया
सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया, जवानों ने उस रात दुश्मन के दांत खट्टे करने के बाद चीनी सेना के सीओ दो अन्य अधिकारियों को बंदी बनाकर ले आए थे। उधर, चीनी सेना ने कुछ भारतीय अधिकारियों को बंदी बना लिया था। कुछ दिन बाद इन्हीं चीनी अधिकारियों के बदले भारतीय जवानों को छोड़ा गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस रिपोर्ट में बताया गया कि चीन ने गलवान नदी पर एक छोटा बांध बना रखा था। उस रात वह बांध अचानक टूटा और पानी की मोटी धार चीनी खेमे की तरफ बह गई।
ऐसा माना जा रहा है कि इसमें चीन के कई टेंट और सैनिक मारे गए थे। अगली सुबह कई घायल भारतीय सैनिक भी गलवान नदी के आसपास मिले जो ठंड की वजह से गंभीर हालात में थे।
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15 जून को ऐसा ही था
दोनों देशों भारत और चीन के बीच हुए सीमा प्रबंधन करार के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों पक्ष हथियार लेकर आमने सामने नहीं होते। 15 जून को ऐसा ही था जब कर्नल बाबू अपने कुछ जवानों के साथ बिना हथियार बात करने गए थे।
चीनियों के पास भी हथियार नहीं थे लेकिन वह बांस और बल्ले में कांटेदार तार लपेटे हुए साजो सामान से लैंस थे। इसी से कर्नल संतोष बाबू के सिर पर हमला किया गया जिसमें वह शहीद हो गए।
सूत्रों ने बताया कि इस घटना के बाद तैनात बिहार रेजीमेंट ने फैसला लिया कि यहां गोली नहीं चलाई जा सकती लेकिन चाकू तो चलाया जा सकता है।
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