Bilkis Bano Gangrape Case: बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत, 21 जनवरी तक करना होगा सरेंडर

Bilkis Bano Gangrape Case: बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 में से 10 दोषियों ने पिछले दिनों सरेंडर में दो हफ्ते का समय मांगते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस नागरथाना ने इन याचिकाओं पर आज सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2024-01-19 14:03 IST

Bilkis Bano Gangrape Case   (photo: social media )

Bilkis Bano Gangrape Case: गुजरात दंगों के दौरान के चर्चित बिलकिस बानो केस के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने सरेंडर के समय में बढ़ोतरी की मांग वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया है यानी अब सभी दोषियों को 21 जनवरी को सरेंडर करना होगा।

दरअसल, बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 में से 10 दोषियों ने पिछले दिनों सरेंडर में दो हफ्ते का समय मांगते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस नागरथाना ने इन याचिकाओं पर आज सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है। इसलिए इसे खारिज किया जाता है। सभी दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करना होगा।

11 में से 10 दोषियों ने दायर की थी याचिका

बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों में जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं। इनमें बकाभाई वोहनिया को छोड़कर बाकी दसों ने आत्मसमर्पण के समय में बढ़ोतरी की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनकी ओर से किसी ने माता-पिता के देखभाल करने, किसी ने पैर की सर्जरी कराने, किसी ने फसलों की कटाई करने और किसी ने बेटे की शादी का कारण बताकर आत्मसमर्पण करने के लिए और समय दिए जाने की गुहार लगाई थी।

11 जनवरी को कोर्ट ने पलट दिया था गुजरात सरकार का आदेश

बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने सरकारी सजा माफी देते हुए गोधरा जेल से रिहा कर दिया था। सभी उम्रकैद की सजा मिलने के कारण सालों से सलाखों के पीछे थे। गुजरता विधानसभा चुनाव से चंद माह पहले हुए इस फैसले को लेकर भारी सियासी बवाल हुआ था। पीड़िता बिलकिस बानो समेत कई अन्य लोगों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

30 नवंबर 2022 को गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ बिलकिस बानो ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। तकरीबन 13-14 माह बाद कोर्ट ने बीते 11 जनवरी को फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले को पलट दिया। इस दौरान अदालत ने गुजरात सरकार को फटकार भी लगाई और सभी 11 दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करने को कहा। इस आदेश के बाद बिलकिस के गांव में जमकर पटाखे फूटे। वहीं, बिलकिस ने कहा कि आज मेरा नया साल शुरू हुआ है और पिछले डेढ़ साल में पहली बार मेरे चेहरे पर मुस्कान आई है।

क्या है पूरा मामला ?

2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में भयानक सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। 3 मार्च को दंगाईयों की भीड़ ने दाहोद जिले के लिमेखड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में जमकर बवाल काटा था। इसी गांव में बिककिस बानो भी रह रही थी। दंगाईयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थी। तब बिलकिस की उम्र महज 21 साल थी और वह 5 महीने की गर्भवती थी। दंगाईयों ने खेत मं छिपे बिलकिस और उनके परिवार को पकड़ा लिया।

इसके बाद बिलकिस का गैंगरेप किया गया। इसके अलावा उसकी मां और तीन अन्य महिलाओं का भी रेप किया गया। हमले में परिवार के 17 सदस्यों में से सात को मौत के घाट उतार दिया गया था। 6 लोग लापता हो गए, जो आज तक नहीं मिले। इस भयानक घटना के बाद परिवार में सिर्फ बिलकिस, एक सात साल का और एक तीन साल का बच्चा ही बचा था। यही सात वर्षीय इस मामले में अहम गवाह साबित हुआ।

गैंगरेप में शामिल आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में सीबआई की स्पेशल कोर्ट ने 11 आरोपियों को मामले में दोषी ठहराया था। सभी को उम्रकैद की सजा दी गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल में और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी आरोपियों को गोधरा जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। जहां से वे 15 अगस्त 2022 को रिहा हुए थे।

Tags:    

Similar News