कुमार विश्वास जन्मदिन: जानें हर दिल अजीज की जिंदगी, कवि से राजनेता बने ऐसे
आइए आज हम आपको बताते हैं कुछ खास बातें। कुमार विश्वास का मूल नाम विश्वास कुमार शर्मा है। विश्वास कुमार शर्मा को यह नाम उनकी दीदी वंदना शर्मा ने दिया है जो खुद प्रोफेसर हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: दुनिया भर में हिंदी का परचम लहराने वाले और कवि सम्मेलनों को नई पहचान देने वाले कवि कुमार विश्वास का आज जन्मदिन है। कुमार विश्वास हिन्दी के न सिर्फ अच्छे जानकार हैं बल्कि हिन्दी को लेकर उन्हें गर्व भी है। तभी 10 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन जन्मे कुमार विश्वास पर सरस्वती का वरद हस्त है। उनके मुंह में सरस्वती का वास है। करोड़ों प्रशंसक उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाते हैं।
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कुमार विश्वास का मूल नाम विश्वास कुमार शर्मा है
आइए आज हम आपको बताते हैं कुछ खास बातें। कुमार विश्वास का मूल नाम विश्वास कुमार शर्मा है। विश्वास कुमार शर्मा को यह नाम उनकी दीदी वंदना शर्मा ने दिया है जो खुद प्रोफेसर हैं। यह नाम आज एक पहचान बन चुका है। कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 को खुर्जा जिले के पिलखुआ में हुआ था। पिलखुआ की बेडशीट मशहूर हैं।
वे चार भाईयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं
उनके पिता डॉ. चन्द्रपाल शर्मा, आर एस एस डिग्री कॉलेज (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से सम्बद्ध), पिलखुआ में प्रवक्ता रहे। उनकी माता रमा शर्मा गृहिणी हैं। वे चार भाईयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं। कुमार विश्वास की पत्नी का नाम मंजू शर्मा है। कुमार विश्वास ने घर परिवार की मर्जी के खिलाफ लव मैरिज की थी। लेकिन बाद में घर वाले मान गए।
पिता उन्हें इंजीनियर (अभियंता) बनाना चाहते थे
पिता उन्हें इंजीनियर (अभियंता) बनाना चाहते थे। डॉ. कुमार विश्वास का मन मशीनों की पढ़ाई में नहीं लगा और उन्होंने बीच में ही वह पढ़ाई छोड़ दी। साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के ख्याल से उन्होंने स्नातक और फिर हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर किया, जिसमें उन्होंने स्वर्ण-पदक प्राप्त किया। तत्पश्चात उन्होंने "कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना" विषय पर पीएचडी प्राप्त किया। उनके इस शोध-कार्य को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।
2011 अन्ना हजार के आंदोलन के दौरान कुमार विश्वास टीम अन्ना के एक सक्रिय सदस्य के रूप में उभरे। वह आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। विश्वास कुमार ने अमेठी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, परन्तुी हार गए। कुमार विश्वास ने भले पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन वह पार्टी विरोधी बयान देने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
सियासत में मेरा खोया या पाया हो नहीं सकता। सृजन का बीज हूँ मिट्टी में जाया हो नहीं सकता
कुमार विश्वास कहते हैं "सियासत में मेरा खोया या पाया हो नहीं सकता। सृजन का बीज हूँ मिट्टी में जाया हो नहीं सकता।" उनका कहना है कि 'राजनीति 10 साल, 5 साल लेकिन कविता हजार साल। कुमार विश्वास की पहली मंचीय कविता वो गीत हूं मै थी जिसका पारिश्रमिक सौ रुपये इन्हें मिला था। इस आयोजन में बाल कवि वैरागी, बृजेन्द्र अवस्थी, अशोक चक्रधर और नीरज जी जैसे पुरोधा उपस्थित थे।
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भागदौड़ भरी जिंदगी में जब भी वक्त मिलता है कुमार विश्वास रफ़ी साहब, लता जी और नुसरत साहब को सुनना पसंद करते हैं। लोक गीतों और पुराने गानों के भी शौकीन हैं।
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