Rajasthan Election 2023: क्या वसुंधरा राजे सिंधिया ने कर दिया सरेंडर ? राजनीति से रिटायर होने के बयान से मिल रहा बड़ा संकेत

Rajasthan Election 2023: शुक्रवार को वसुंधरा राजे अपने निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन में थीं। जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए राजनीति से रिटायर होने की इच्छा जाहिर कर दी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-11-04 10:16 IST

वसुंधरा राजे (photo: social media ) 

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों चुनाव-प्रचार चरम पर है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत प्रचार अभियान में झोंक रखी है। छोटी पार्टियां भी अपने स्तर पर तीसरा विकल्प बनाकर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को टक्कर देने की कोशिश कर रही हैं। इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता वसुंधरा राजे सिंधिया के एक बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

शुक्रवार को वसुंधरा अपने निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन में थीं। जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए राजनीति से रिटायर होने की इच्छा जाहिर कर दी। पूर्व मुख्यमंत्री इसी सीट से बीजेपी की प्रत्याशी हैं और आज यानी शनिवार को नामांकन दाखिल करेंगे। ऐसे में नामांकन दाखिल करने से ऐन पहले उनकी ओर से आए इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। उन्हें बीजेपी के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है।

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क्या कहा वसुंधरा ने ?

शुक्रवार को झालावाड़ में स्थानीय बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के समर्थन में एक जनसभा आयोजित की गई थी। जिसे उनके बेटे और झालावाड़-बारण सीट से लोकसभा सांसद दुष्यंत सिंह ने भी संबोधित किया। सभा में अपने सांसद बेटे का भाषण सुन वसुंधरा खूब प्रसन्न हुईं। इसके बाद जब उनकी बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा, मुझे लग रहा है कि अब मैं रिटायर हो सकती हूं। लोगों ने सांसद साहब (दुष्यंत सिंह) को सही प्रशिक्षण और स्नेह दिया है और उन्हें सही रास्ते पर रखा है। उन्हें अब दुष्यंत के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।


क्या वसुंधरा राजे सिंधिया ने कर दिया सरेंडर ?

पांच बार की सांसद और चार बार की विधायक वसुंधरा राजे के इस बयान की खूब चर्चा होने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री का बीजेपी के मोदी-शाह नेतृत्व से रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं। बताया जाता है कि वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अपने बेटे को मंत्री बनाना चाहती थीं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने वसुंधरा को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होकर रक्षा मंत्री बनने का ऑफर दिया। लेकिन तब सीएम पद पर विराजमान वसुंधरा ने राजस्थान छोड़ने से मना कर दिया था।

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उन्हें भाजपा का इकलौता क्षत्रप कहा जाता है, जिन्होंने आलाकमान के सामने पूरी तरह से घुटने नहीं टेके। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ उनका टकराव इसका उदाहरण है। करीब साढ़े चार सालों तक प्रदेश की राजनीति में अलग-थलग पड़ी रहीं वसुंधरा ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपनी सक्रियता बढ़ाई और शीर्ष नेतृत्व को अपने कार्यक्रमों में जुट रही भारी भीड़ के जरिए बड़ा संकेत दिया। वसुंधरा राजे सिंधिया चाहती थीं कि पार्टी उन्हें अगले चुनाव के लिए सीएम फेस प्रोजेक्ट करे।


मगर ऐसा हुआ नहीं लेकिन इतना जरूर है कि उनके समर्थकों को टिकट खूब मिले हैं। इसके अलावा बीजेपी के पोस्टरों और बड़े नेताओं के मंचों पर भी उनकी वापसी हो गई। वसुंधरा प्रदेश में बीजेपी की एकमात्र नेता हैं, जिनकी पकड़ समूचे राजस्थान में है। बीजेपी इसे अच्छी तरह से जानती है। भाजपा पर नजर रखने वाले सियासी जानकार मानते हैं कि अगर प्रदेश में पार्टी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आती है तो वसुंधरा को शायद ही मौका मिल पाए। पूर्व मुख्यमंत्री शायद इसे भांप चुकी हैं। उनके इस बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। कुल मिलाकर चुनाव नतीजों के बाद राजस्थान की राजनीति में दिलचस्प उठापटक दिखने की उम्मीद है।

कब है राजस्थान में चुनाव ?

राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर एक चरण में 25 नवंबर को मतदान होगा। जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। मुख्य लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। इसके अलावा बसपा, हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, चंद्रेशेखर आजद की आजाद समाज पार्टी और भारतीय ट्रायबल पार्टी जैसी कुछ सियासी ताकतें भी हैं, जो कुछ पॉकेट्स में अच्छा दखल रखती हैं। राजस्थान में पिछले काफी समय से हर पांच साल पर सत्ता बदलने का रिवाज रहा है। ऐसे में इस बार परंपरा टूटती है या जारी रहती है, नतीजे के दिन तस्वीर साफ होगी।

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