Karnataka Election 2023: कर्नाटक में बगावत ने बढ़ाईं भाजपा की मुश्किलें, 2024 के मिशन पर असर डालेंगे चुनावी नतीजे

Karnataka Election 2023: पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का कहना है कि इन दोनों नेताओं के पार्टी छोड़ने से भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर असर नहीं पड़ेगा।

Update: 2023-04-18 10:03 GMT
Karnataka Election 2023 (photo: social media )

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से किए गए टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में नाराजगी दिख रही है। पार्टी के दो बड़े नेताओं राज्य के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी की बगावत ने पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इन दोनों नेताओं ने भाजपा से इस्तीफा देकर 'हाथ' का साथ पकड़ लिया है। ऐसे में पार्टी के नेता अपना समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश में जुट गए हैं। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का कहना है कि इन दोनों नेताओं के पार्टी छोड़ने से भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर असर नहीं पड़ेगा।

कर्नाटक के चुनावी नतीजे देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी असर डालने वाले साबित होंगे। भाजपा सत्ता में वापसी करके दक्षिण के अन्य राज्यों के लिए बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश में जुटी हुई है। यही कारण है कि टिकट बंटवारे के बाद अब पार्टी पूरी ताकत लगाने की कोशिश में जुट गई है। भाजपा को भरोसा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीएस येदियुरप्पा के दम पर पार्टी एक बार फिर अपनी ताकत दिखाने में कामयाब होगी।

दो बड़े नेताओं की बगावत ने बढ़ाईं मुश्किलें

कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सबसे आखिर में उम्मीदवारों की सूची जारी की गई। उम्मीदवारों की सूची जारी होने से पहले ही कई इलाकों से टिकट कटने की संभावना के कारण नाराजगी की सुगबुगाहट सुनाई पड़ने लगी थी। टिकट काटे जाने पर पार्टी के दो बड़े नेताओं पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी की बगावत पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बनती दिख रही है। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है और कांग्रेस ने इन दोनों नेताओं को उनकी सीटों से चुनाव मैदान में उतार दिया है। इन दोनों नेताओं के अलावा कुछ अन्य नेताओं ने भी भाजपा को झटका दिया है।

दूसरी ओर इन दोनों नेताओं के शामिल होने के बाद कांग्रेस में उत्साह का माहौल दिख रहा है। शेट्टार को पार्टी में शामिल करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद मौजूद थे। पार्टी के दो अन्य बड़े नेता डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया भी इस मौके पर मौजूद थे। इससे समझा जा सकता है कि पार्टी की ओर से इन दोनों नेताओं को कितना महत्व दिया जा रहा है। इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से अब राज्य की डेढ़ सौ विधानसभा सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है।

मिशन 2024 पर असर डालेंगे चुनावी नतीजे

कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं और मौजूदा समय में इनमें से 25 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। विधानसभा चुनाव में सियासी नुकसान होने पर इसका असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। यही कारण है कि भाजपा नेता सतर्क हो गए हैं। टिकटों को लेकर बगावत के बाद भाजपा में घबराहट जरूर दिखी है मगर इसके साथ ही पार्टी ने अपने तेवर तीखे बनाए रखे हैं। भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि पार्टी छोड़कर जाने वाले नेता अपनी सीट छोड़कर अन्य चुनाव क्षेत्रों पर कोई असर नहीं डाल सकेंगे। ये नेता अपनी सीटें बचा लें,यही बड़ी बात होगी।

राज्य में 10 मई को होने वाले मतदान के लिए भाजपा की ओर से धुंआधार प्रचार अभियान चलाने की तैयारी है। पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के जादू पर पूरा भरोसा है। इन दोनों नेताओं के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पार्टी के आक्रामक प्रचार अभियान में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

भाजपा को लिंगायत समुदाय पर भरोसा

कर्नाटक के चुनाव में भाजपा को लिंगायतों का समर्थन पाने का पूरा भरोसा है। पार्टी नेताओं का मानना है कि येदयुरप्पा और राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कारण लिंगायत समुदाय भाजपा को ही समर्थन देगा। पिछले दिनों बोम्मई सरकार की ओर से लिंगायत समुदाय का आरक्षण बढ़ाने का बड़ा सियासी दांव भी चला गया था। इस कारण भी पार्टी को इस समुदाय के मतों पर पूरा भरोसा है। लिंगायत समुदाय का असर राज्य की 100 विधानसभा सीटों पर है। ऐसे में चुनावी नतीजे में लिंगायत समुदाय का रुख काफी अहम भूमिका निभाएगा। वैसे हाल के चुनावों में भाजपा इस समुदाय का अधिकांश मत हासिल करने में कामयाब रही है मगर इस बार कांग्रेस की ओर से भी सेंधमारी का प्रयास किया जा रहा है।

वोक्कालिंगा समुदाय के वोट बैंक में भी भाजपा की ओर से पैठ बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। पार्टी ने इस बार के चुनाव में इस समुदाय से जुड़े कई नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। अब यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी इन दोनों समुदायों का वोट हासिल करने में कहां तक कामयाब हो पाती है।

बोम्मई के नेतृत्व कौशल की परीक्षा

भाजपा नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का राज्य के लोगों को जमकर लाभ मिला है। इस कारण पार्टी को लाभार्थियों और महिलाओं का मत भी हासिल होने का भरोसा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटों पर जीत हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बनने में कामयाब हुई थी। पार्टी नेतृत्व की ओर से येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था और इस बार के विधानसभा चुनाव में बोम्मई के नेतृत्व कौशल की भी परीक्षा होनी है।

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