चंडीगढ़: किसी भी राजनीतिक दल से बसपा मुखिया मायावती की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चलती। यूपी में सपा-बसपा का साथ केवल लोकसभा चुनाव तक ही चल सका तो हरियाणा में जननायक जनता पार्टी से उनका सियासी गठजोड़ चुनाव से पहले ही टूट गया। चौटाला परिवार के बीच मतभेदों के चलते अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी से बसपा की दोस्ती तो एक महीने भी नहीं चल सकी। बसपा सुप्रीमो ने सीटों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाते हुए गठबंधन तोडऩे का ऐलान किया। गठबंधन तोडऩे का ऐलान करने से पहले मायावती ने लखनऊ में हरियाणा के बसपा पदाधिकारियों के साथ दो चरणों में लंबी बैठक की। इस बैठक में ही गठबंधन तोडऩे का फैसला किया गया।
एक माह भी नहीं चल सका गठबंधन
गठबंधन करना और तोडऩा मायावती की फितरत रही है और हरियाणा के मामले में भी वही हुआ। यूपी में सपा से गठबंधन तोड़ते समय उन्होंने सपा को ही गुनहगार ठहराया था। हालांकि सपा की ओर से उनकी इस बात का कोई जोरदार प्रतिवाद नहीं किया गया। हरियाणा के मामले में भी ऐसा ही हुआ। एक माह से भी कम समय में जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ते हुए उन्होंने उसे ही दोषी बता दिया। पिछले महीने 11 अगस्त को दुष्यंत चौटाला और सतीश मिश्रा ने दोनों दोनों दलों के बीच गठबंधन का ऐलान किया था। हरियाणा में पिछले 5 साल के दौरान बसपा का जननायक जनता पार्टी के साथ यह तीसरा गठबंधन था। इससे पहले बसपा राज्य में अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो और फिर पूर्व सांसद राजकुमार सैनी के नेतृत्व वाली लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन कर चुकी है।
हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियां तेज
विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष पद से अशोक तंवर को हटाते हुए कुमारी शैलजा की ताजपोशी की है तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर यात्रा निकालकर मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में गोलबंद करने में जुटे हुए हैं। मायावती ने गठबंधन तोडऩे की घोषणा करते हुए कहा कि बसपा विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अपने बलबूते पर राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कयास लगाए जा रहे थे कि जजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद बसपा और कांग्रेस का गठबंधन हो सकता है, लेकिन मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि हाल फिलहाल वह कांग्रेस के साथ नहीं जा रही है।
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कई दलों से हाथ मिला चुकी हैं मायावती
2014 चुनाव के दौरान बसपा का कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ भी गठबंधन रहा है। हरियाणा जनहित कांग्रेस से पहले बसपा 1998 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा और जजपा का गठबंधन टूटने से जजपा नेता सकते में है। मायावती से हाथ मिलाने के बाद दुष्यंत चौटाला ने ऐलान किया था कि मायावती के हाथी पर बैठकर जजपा चंडीगढ़ में सत्ता पर काबिज होगी।
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गठजोड़ टूटने का असली कारण
बसपा-जजपा का गठबंधन टूटने के पीछे एक दूसरी कहानी भी बताई जा रही है। हालांकि मायावती गठबंधन टूटने के पीछे सीटों के गलत बंटवारे को कारण बता रही है, लेकिन जानकारों के मुताबिक हरियाणा के बसपा नेताओं ने मायावती को यह फीडबैक दिया कि जननायक जनता पार्टी के नेता सत्तारूढ़ भाजपा के संपकई में हैं। बताया जाता है कि इसी कारण मायावती ने गठबंधन तोडऩे का ऐलान कर दिया। उनकी इस बाबत राज्य के बसपा नेताओं से विस्तृत चर्चा हुई थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव का कहना है कि पहले बसपा और इनेलो का गठबंधन टूटा और अब बसपा और जजपा का गठबंधन टूटा। ये दोनों गठबंधन टूटने स्वाभाविक थे और इस पर किसी को अचरज नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस से हो सकता है गठबंधन
हालांकि मायावती ने ऐलान किया है कि अब बसपा राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी मगर माना जा रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस का नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद राज्य में बसपा और कांग्रेस के बीच नया गठबंधन हो सकता है। राज्य में कांग्रेस की पतली हालत किसी से छिपी नहीं है। पार्टी में गुटबाजी भी चरम पर है। सियासी जानकारों का कहना है कि ऐसे में विधायक दल का नेता बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अब इस कोशिश में रहेंगे कि बसपा के साथ कांग्रेस का गठजोड़ हो जाए।