By-Election: CM योगी, ममता और तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर, अपने-अपने सूबे में ताकत की होगी परीक्षा

By-Election: चुनाव नतीजे से इन नेताओं के दमखम की परीक्षा होगी। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे इस उपचुनाव पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-22 11:52 IST

By-Election (Pic: Newstrack)

By-Election: महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव के साथ ही विभिन्न राज्यों में होने वाले उपचुनाव को भी सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। दीपावली के बाद नवंबर महीने के दौरान 13 राज्यों की 47 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश की नौ, पश्चिम बंगाल की 6 और बिहार की चार विधानसभा सीटें शामिल हैं।

इन उपचुनावों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। चुनाव नतीजे से इन चारों नेताओं के दमखम की परीक्षा होगी। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे इस उपचुनाव पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

यूपी में भाजपा को लगा था बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई थी। उत्तर प्रदेश में लगे झटके के कारण पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल करने में भी कामयाब नहीं हो सकी थी। समाजवादी पार्टी को 37 और कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को इतनी कम सीटें मिलने की उम्मीद किसी को नहीं थी। पीएम मोदी और योगी की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं हासिल हो सकी थी।


योगी और अखिलेश दोनों ताकत दिखाने में जुटे

लोकसभा चुनाव में लगे झटके के बाद नौ विधानसभा सीटों पर हो रहा उपचुनाव बीजेपी और योगी दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। वे इन सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं और इस दौरान उन्होंने अनेक विकास परियोजनाओं का ऐलान किया है।


दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव यह साबित करना चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी अनायास नहीं थी। हालांकि विधानसभा उपचुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच विवाद भी पैदा हो गया है। सपा की ओर से कांग्रेस को दो सीटें देने की बात कही गई है मगर कांग्रेस इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं दिख रही है।

प्रशांत किशोर की पहली चुनावी जंग

बिहार में चार सीटों पर होने वाला उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के अलावा प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पहली बार चुनावी जंग में उतर रही है।


अपनी पार्टी के लॉन्चिंग के मौके पर प्रशांत किशोर ने ऐलान किया था कि हम उपचुनाव के दौरान ही अपनी ताकत का ट्रेलर दिखा देंगे। इसके बाद हमारी पार्टी अगले साल विधानसभा चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ेगी। अगर प्रशांत किशोर उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रहे तो यह उनकी बड़ी उपलब्धि होगी मगर यदि उनके प्रत्याशी फेल साबित हुए तो विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का दम निकल जाएगा।

तेजस्वी यादव को दिखाना होगा दम

तेजस्वी के लिए विधानसभा चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि जिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं,उनमें से तीन सीटें इंडिया ब्लॉक के पास थीं। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष की एकजुटता के बावजूद तेजस्वी अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो सके थे। तेजस्वी के धुआंधार प्रचार करने के बावजूद विपक्षी महागठबंधन पिछड़ गया था।


ऐसे में विधानसभा उपचुनाव अगले साल होने वाले पूर्ण चुनाव से पहले सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है। उपचुनाव में तीन सीटों पर राजद प्रत्याशी उतारे गए हैं जबकि एक सीट भाकपा माले को दी गई है। महागठबंधन के नेताओं की ओर से जीत का दावा जरूर किया जा रहा है मगर एनडीए के खिलाफ उपचुनाव की लड़ाई आसान नहीं मानी जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने विकास कार्यों पर भरोसा है और ऐसे में एनडीए भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटा हुआ है।

महिला डॉक्टर से दरिंदगी के बाद ममता की परीक्षा

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सामने एक बार फिर अपना दम दिखाने की बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव के दौरान टीएमसी को 29 सीटों पर जीत दिलाकर ममता बनर्जी ने अपनी ताकत दिखाई थी मगर आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। इस घटना के बाद लगातार उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही है।


लोकसभा चुनाव में झटका लगने के बाद भाजपा अपनी खोई हुई जमीन को हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा की ओर से महिला अत्याचार और भ्रष्टाचार के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद बंगाल में पहला चुनाव होने जा रहा है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि ममता बनर्जी की ताकत बरकरार है या उन्हें सियासी झटका लगता है।  

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