Digital Data Protection Bill: बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी, प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ करने वाली कंपनियों पर होगा एक्शन

Digital Data Protection Bill: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आज यानी बुधवार 5 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई। जिसमें डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्श बिल को मंजूरी दी गई। इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है।

Update: 2023-07-05 10:36 GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी: Photo- Social Media

Digital Data Protection Bill: मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद से ही डिजिटल भारत अभियान जोर देर रही है। तमाम सरकारी कामों में इसे आक्रमक तरीके से अपनाया जा रहा है। सरकारी विभागों को पेपरलेस करने का काम जोरों पर है। अब तक अदालतें भी इस दिशा में बढ़ रही हैं। देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा है। डिजिटलीकरण के जितने फायदे हैं, नुकसान भी कम नहीं है। यूजर्स का पर्सनल डेटा लीक होने का खतरा बना रहता है।

कंपनियों पर अक्सर यूजर्स के डेटा के जरिए उनकी निजता के साथ खिलवाड़ करने के आरोप लगते रहते हैं। इस मामले में कंपनियों की मनमानी को देखते हुए लंबे समय से ऐसे कानून की मांग हो रही थी, जिससे इस पर अंकुश लगाया जा सके। ताकि यूजर्स की निजता भंग न हो और ऐसा करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो। कई विकसित देशों में डेटा प्रोटेक्शन के रूप में कठोर कानून मौजूद हैं। अब भारत सरकार भी डेटा सुरक्षा कानून ला रही है।

डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आज यानी बुधवार 5 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई। जिसमें डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्श बिल को मंजूरी दी गई। इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। इस विधेयक को साल 2018 में जस्टिस बीश्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किया गया था। जिसके बाद 11 दिसंबर 2019 को इसे संसद में पेश किया गया था। दिसंबर 2021 में इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था। बिल में कई खामियां होने के कारण इसका काफी विरोध हुआ था। जिसके बाद सरकार ने कई संशोधनों के साथ नया ड्राफ्ट तैयार किया है।

नए बिल के कुछ अहम बिंदू

- डेटा के गलत इस्तेमाल पर संबंधित कंपनी पर 500 करोड़ रूपये तक की पेनल्टी का प्रावधान।

- बिना यूजर के मर्जी के डेटा का नहीं हो सकता इस्तेमाल।

- किसी भी समय ग्राहक को अपनी सहमति वापस लेने का अधिकार।

- कंपनियां हर डिजिटल नागरिक को साफ और आसान भाषा में सारी डिटेल्स देंगी।

- डाटा स्टोरेज के लिए सर्वर देश में या मित्र देश में ही हो सकते हैं।

- सरकारी एजेंसियां और संस्थान असीमित समय तक रख पाएंगे डाटा।

- यूजर्स की शिकायतें सुनने और हल करने के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया बनेगा।

- अगर कोई यूजर सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट डिलीट करता है तो कंपनियों को भी उसका डेटा डिलीट करना होगा।

- यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा में सुधार करने या उसे मिटाने का अधिकार मिलेगा।

- बच्चों के डेटा तक पहुंच के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी।

- नए डेटा बिल में महिलाओं की प्राइवेसी को प्राथमिकता देते हुए Her/She टर्म का इस्तेमाल किया गया है। ये इसलिए खास है क्योंकि अब तक जितने भी बिल पेश किए जाते रहे हैं उनमें सभी जेंडर्स के लिए His/He का इस्तेमाल किया जाता था।

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