Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में उलझा कैबिनेट का विस्तार,मंत्रियों के नामों पर नहीं बन पा रही सहमति
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार का मामला अभी तक नहीं सुलझ सका है। पहले राष्ट्रपति चुनाव के मतदान के बाद कैबिनेट विस्तार की बात कही जा रही थी।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार का मामला अभी तक नहीं सुलझ सका है। पहले राष्ट्रपति चुनाव के मतदान के बाद कैबिनेट विस्तार की बात कही जा रही थी मगर मतदान के एक हफ्ते बीत जाने पर भी अभी तक इस बाबत कोई फैसला नहीं हो सका है। कैबिनेट का विस्तार न हो पाने के कारण सरकार का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। इसे लेकर विपक्ष की ओर से सवाल भी उठाए जा रहे हैं मगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इन सवालों का कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के शपथ लेने के 25 दिन बाद भी मंत्रियों के संबंध में कोई फैसला नहीं हो सका है। कैबिनेट विस्तार में सबसे बड़ी रुकावट मंत्रियों के नाम तय न हो पाने की है। इस बाबत दिल्ली और मुंबई में कई दौर की बातचीत हो चुकी है मगर अभी तक मंत्रियों की सूची पर मुहर नहीं लग सकी है।
दिल्ली दौरे में भी नहीं लग सकी मुहर
शिवसेना के 40 विधायकों की बगावत के बाद शिंदे राज्य का मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे। उन्होंने विधानसभा में भी आसानी से बहुमत साबित कर दिया है मगर कैबिनेट विस्तार के दिशा में अभी तक वे कदम नहीं उठा सके हैं। वे राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ कई बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजपा के शीर्ष नेताओं से चर्चा भी हुई है।
मगर फिर भी मंत्रियों की सूची को आखिरी रूप नहीं दिया जा सका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए भी दोनों नेता दिल्ली पहुंचे थे। इस दौरान भी उनकी भाजपा के शीर्ष नेताओं से चर्चा तय थी। वैसे अभी तक दोनों नेता मंत्रियों के शपथ ग्रहण की तारीख बताने में असमर्थ हैं।
मंत्री पद के दावेदारों की लंबी सूची
जानकारों का कहना है कि शिंदे गुट और भाजपा के काफी संख्या में विधायक मंत्री बनने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इन विधायकों की ओर से खूब जोड़-तोड़ की जा रही है। इतना ज्यादा विधायकों को संतुष्ट रखना दोनों नेताओं के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। शिवसेना के बागी खेमे में शिंदे को छोड़कर आठ पूर्व मंत्री शामिल हैं। एक निर्दलीय विधायक बच्चू काडू को भी मंत्री बनाने का वादा किया गया है।
दूसरी ओर भाजपा में भी मंत्री पद के दावेदारों की लंबी सूची है। भाजपा के कई विधायक खुद को मंत्री बनाने के लिए दबाव बनाने में जुटे हैं। शिंदे मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 43 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। ऐसे में शिंदे और फडणवीस के लिए विधायकों को संतुष्ट करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है।
भाजपा नेताओं से संयम बरतने की अपील
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई बड़े नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और अहम मंत्रालयों पर दावेदारी जता रहे हैं। इन नेताओं में पार्टी के कई वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री शामिल हैं। भाजपा नेताओं के इस दबाव के कारण ही फडणवीस ने हाल में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पार्टी नेताओं से धैर्य और संयम दिखाने की अपील की थी।
उनका कहना था कि पार्टी के सभी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जा सकता है। इसलिए उन्हें थोड़ा संयम दिखाना चाहिए।
वैसे भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि विधानसभा के मानसून सत्र के पहले महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार हो सकता है। ऐसे में माना जा रहा कि अगस्त के पहले हफ्ते में शिंदे मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। शिंदे गुट से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि मंत्रिमंडल विस्तार में विधायकों से किए गए वादे का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
विपक्ष का हमलावर रुख
उधर विपक्ष की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। शिवसेना का उद्धव गुट भी इसे लेकर लगातार हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि महाराष्ट्र में हुई भारी बारिश के कारण काफी तबाही हुई है मगर मंत्रिमंडल विस्तार न होने के कारण राहत कार्य प्रभावित हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि मंत्रियों के न होने के कारण कई अहम विभागों में फाइलें अटकी हुई हैं और फैसले नहीं हो पा रहे हैं।