सीएजी जांच: कटघरे में प्राधिकरण की ग्रुप हाउसिंग नीतियां, अब देना होगा जवाब
प्राधिकरण ने 2005 से 2015 के बीच तमाम गु्रप हाउसिंग योजनाएं निकाली। इस दौरान बिल्डरों को विशेष छूट दी गई, जिसके लिए नियमों में भी बदलाव किया गया। इस बिंदु पर भी सीएजी ने आपत्ति दर्ज की है क्योंकि नियम बदलने के कारण बिल्डरों ने इसका फायदा उठाया और प्राधिकरण को आज तक भुगतान नहीं किया।
नोएडा: नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने प्राधिकरण की ग्रुप हाउसिंग नीतियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सीएजी ने अपनी जांच में 20 बिल्डर परियोजनाओं में प्रत्येक पर पांच से छह पेज की आपत्ति लगाई है। इनका जवाब प्राधिकरण को एक महीने में देना है। इस परियोजनाओं में शहर के पांच बड़ी बिल्डर परियोजनाएं भी शामिल है। यह आपत्ति 2005 से 2015 के बीच ग्रुप हाउसिंग पर लगाई गई है। इसके अलवा सेक्टर-78 से 150 तक स्पोर्ट्स सिटी पर भी आपत्ति लगाई गई है। इनका जवाब तैयार किया जा रहा है।
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प्राधिकरण ने 2005 से 2015 के बीच तमाम गु्रप हाउसिंग योजनाएं निकाली। इस दौरान बिल्डरों को विशेष छूट दी गई, जिसके लिए नियमों में भी बदलाव किया गया। इस बिंदु पर भी सीएजी ने आपत्ति दर्ज की है क्योंकि नियम बदलने के कारण बिल्डरों ने इसका फायदा उठाया और प्राधिकरण को आज तक भुगतान नहीं किया। नतीजा निकला कि प्राधिकरण को कई हजार करोड़ रुपए का राजस्व हानि हो रही है।
20 बिल्डर परियोजनाओं में प्रत्येक पर पांच से छह पेज की लगाई आपत्ति
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की ओर से जो भी आपत्तियां लगाई गई हैं उनका जवाब देने के लिए निर्देशित कर दिया गया है। आपत्तियों के हिसाब से विभागाध्यक्षों को दो सप्ताह से चार सप्ताह का समय दिया गया है। अधिकतम समय चार सप्ताह यानि एक माह है। इस दौरान सभी को जवाब दाखिल करना होगा। ग्रुप हाउसिंग में 20 परियोजनाओं में प्रत्येक पर पांच से छह पेज की आपत्तियां लगाई गई है।
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कुल लगात का 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया बिल्डरों को लाभ
दरअसल, 2005 में निकाली गई ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में कुल भूखंड की लागत का 30 प्रतिशत पैसा लेकर आवंटन किया जाता था। लेकिन 2007 में बिल्डर को लाभ पहुंचाते हुए नियमों में बदलाव किया गया और 30 प्रतिशत के स्थान पर कुल लागत का 10 प्रतिशत कर दिया गया। इसका फायदा बिल्डरों ने उठाया।
शेयरिंग में आवंटित हुए भूखंड खरीददारों से जमकर वसूली रकम
कुल लागत का 10 प्रतिशत जमा करने पर आवंटन मिलने का फायदा बिल्डरों ने जमकर उठाया। उदाहरण के लिए यदि एक भूखंड की लागत 60 करोड़ रुपए थी। ऐसे में चार लोगों ने मिलकर कुुल लागत यानी 60 करोड़ का 10 प्रतिशत एकत्रित कर प्राधिकरण में जमा किया और भूखंड अपने नाम आवंटित करवा लिया। आवंटन के बाद लोगों को लुभावने आफर दिए और बुकिंग के नाम पर जमकर मुनाफा खोरी की। इसके बाद न तो प्राधिकरण का बकाया जमा किया और न ही खरीददारों को उनका आशियाना बनाकर दिया।
इन परियोजनाओं पर लगाई गई आपत्ति
-यूनीटेक प्रोजेक्ट प्रा. लि. सेक्टर-96,98
-यूनीटेक लिमिटेड सेक्टर-117
-यूनीटेक लिमिटेड सेक्टर-113
-यूनीटेक लिमिटेट सेक्टर-143 जीएच-002 (सरेंडर प्लाट)
-सुपरटेक लिमिटेड सेक्टर-74
-यूनीटेक लिमिटेड सेक्टर-117,113
-महागुन सेक्टर-78 जीएच-002
-ग्रेनाइट गेट सेक्टर-110जीएच-05
-अंबिका सेक्टर-115 जीए05
-यूनीटेक सेक्टर-144 जीएच-3
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स्पोर्टस सिटी पर लगाई आपत्ति
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने सेक्टर-150 से 78 तक बन रही स्पोर्ट सिटी पर भी आपत्ति लगाई है। बताया गया कि यहा स्पोर्टस सिटी के नाम पर आवासीय निर्माण किया जा रहा है। हालांकि इन सेक्टरों में निर्माण समाप्त करने की अंतिम तिथि 2021 है। ऐसें इनका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। बताया गया कि आवासीय यूनिट बनने के साथ बुकिंग पैसों ही स्पोर्टस के लिए स्टेडियम का निर्माण संभव है। फिलहाल आपत्तियों का जवाब अधिकारियों को देना है।