Cancer in India: भारत में कैंसर पर बड़ी रिसर्च, महिलाओं में ज्यादा हो रहीं मौतें

Cancer in India:अध्ययन कोच्चि के अमृता हॉस्पिटल द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी के सहयोग से किया गया था और इसे अमेरिकन सोसायटी ऑफ़ क्लिनिकल ऑनकोलॉजी से संबद्ध जेसीओ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया।

Update:2023-07-27 11:18 IST
Cancer in India (photo: social media )

Cancer in India: भारत में पिछले 19 वर्षों में महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कैंसर से ज्यादा मौतें हो रही हैं। कैंसर से मृत्यु के बारे में भारत में किये गए पहले राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन में पाया गया है कि भारत में कैंसर की मृत्यु दर पुरुषों में 0.19 फीसदी की वार्षिक रफ्तार से घट रही है, लेकिन महिलाओं में 0.25 फीसदी वार्षिक रूप से बढ़ रही है।

2000 से 2019 तक 12.85 मिलियन भारतीयों की मृत्यु में 23 प्रमुख कैंसरों के रुझानों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पेप्टिक कैंसर में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि का पता चला, जो दोनों लिंगों में 2.7 फीसदी था (पुरुषों में 2.1 फीसदी और महिलाओं में 3.7 फीसदी)।

यह अध्ययन कोच्चि के अमृता हॉस्पिटल द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी के सहयोग से किया गया था और इसे अमेरिकन सोसायटी ऑफ़ क्लिनिकल ऑनकोलॉजी से संबद्ध जेसीओ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया।

अध्ययन में पाया गया कि 2000 से 2019 तक कैंसर की मृत्यु दर में पेप्टिक, स्तन, कोलोरेक्टम, लिम्फोमा, मल्टिपल मियलोमा, गॉलब्लैडर, पैंक्रिएस, किडनी, और मेजोथेलियोमा के कैंसरों में वृद्धि के रुझान मिले। हालांकि, पेट, इसोफेगस, ल्यूकेमिया, लाइरिंक्स और मेलेनोमा कैंसर की मृत्यु दर में कमी का रुझान देखा गया जो लिंग के अनुसार भिन्न नहीं था। सभी सामान्य कैंसरों में पुरुषों में महिलाओं की तुलना में थायरॉइड और गॉलब्लैडर कैंसर की मृत्यु दर महिलाओं में अधिक थी।

लाइरिंक्स कैंसर में महिलाओं में छह गुना अधिक मृत्यु

लाइरिंक्स कैंसर के मरीजों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में लगभग छह गुना अधिक मृत्यु हुई थी, जिसके बाद फेफड़ों (2.9), मेलेनोमा (2.5), मूत्रशय (2.3), मुख और ओरोफायरंगल (2.2) और जिगर (1.9) के कैंसर आते हैं, जबकि पेट और कॉलोरेक्टल कैंसर की मृत्यु दोनों लिंगों के बीच समान रही।

सबसे आम घातक कैंसर मुख और ओरोफायरंगल (15.6 फीसदी), पेट (10.6 फीसदी), फेफड़ों (9.6 फीसदी), स्तन (9 फ़ीज़8) और कॉलोरेक्टल (8 फीसदी) कैंसर थे।

यह अध्ययन कहता है कि 17.6 फीसदी मौतों में महिलाओं के गर्भाशय, गर्भाशय, अंडाशय और स्तन कैंसर ने योगदान दिया, जबकि पुरुषों के प्रोस्टेट और अंडकोष कैंसर ने केवल 3.7 फीसदी योगदान दिया।

अमृता अस्पताल, कोच्चि के ब्रेस्ट और जीनेक ओंकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विजयकुमार डी.के. ने कहा, "हमें जांचना चाहिए था कि भारत में पिछले दो दशक में कैंसर से संबंधित मृत्यु की संख्या में कैसे बदलाव हुआ है। इस अध्ययन ने दिखाया है कि भारत में पुरुषों में कैंसर मृत्यु रेखा में थोड़ी लेकिन सांख्यिकीय रूप से प्रमुख कमी हुई है।

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