कारगिल युद्ध के हीरो की अब आयी याद, दिया डबल प्रमोशन

कारगिल युद्ध के हीरो, वीर चक्र से सम्मानित सतपाल सिंह की सुधि बीस साल बाद सरकार को आयी है। संगरूर में ट्रैफिक हेड कांस्टेबल सतपाल सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डबल प्रमोशन दे कर एएसआई बनाने का आदेश दिया है।

Update: 2019-07-27 07:45 GMT

चंडीगढ़: कारगिल युद्ध के हीरो, वीर चक्र से सम्मानित सतपाल सिंह की सुधि बीस साल बाद सरकार को आयी है। संगरूर में ट्रैफिक हेड कांस्टेबल सतपाल सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डबल प्रमोशन दे कर एएसआई बनाने का आदेश दिया है।

करगिल में आपरेशन विजय के दौरान सतपाल सिंह द्रास सेक्टर में तैनात थे और उस टीम के सदस्य थे जिसने टाइगर हिल पर कब्जा करने में सेना की मदद की थी। सतपाल ने पाकिस्तान के नादर्न लाइट इनफैंट्री के कैप्टन शेर खान और तीन अन्य को मार गिराया था।

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कारगिल युद्ध को 20 बरस हो चुके हैं। रिटायर होने के बाद 2010 में सतपाल सिंह पंजाब पुलिस में शामिल हो गए। तबसे पंजाब में कई सरकारें आईं और गयीं लेकिन किसी ने सतपाल के बारे में कोई सुधि नहीं ली। इस बार कारगिल विजय दिवस के मौके पर जब मीडिया में सतपाल सिंह की फोटो और खबर छपी तब पंजाब के मुख्यमंत्री को उनके बारे में पता चला। इसके बाद सतपाल को डबल प्रमोशन देने का ऐलान किया गया।

इस मामले को राजनीतिक रंग देते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती शिरोमणी अकाली दल और बीजेपी सरकार ने सतपाल सिंह की योग्यता की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि जब उनके संज्ञान में सतपाल सिंह का मामला आया तो उन्होंने तत्काल उन्हें प्रमोट कर दिया।

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अदम्य साहस दिखाया था सतपाल ने

सतपाल सिंह के मुताबिक कारगिल युद्ध के दौरान जब 19 ग्रेनेडियर्स की टुकड़ी टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने की तैयारी में थी तो 8 सिख रेजिमेंट की एक टुकड़ी को मदद के लिए जाने का आदेश मिला। इस खास टुकड़ी का हिस्सा सतपाल सिंह थे। टाइगर हिल की लड़ाई में ऐसा मुकाम आया कि पकिस्तान और भारतीय सैनिकों के बीच हैण्ड टू हैण्ड यानी हाथों से लड़ाई होने लगी। इस लड़ाई में सतपाल ने पाकिस्तानी टुकड़ी के कैप्टेन शेर सिंह को मार गिराया जिसके बाद पाकिस्तानी खेमे के हौसले पस्त हो गए थे।

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सतपाल की बहादुरी को देखते हुए 1999 में राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उनको वीर चक्र से सम्मानित किया। उधर कैप्टेन शेर खां को पकिस्तान में वहां के सर्वोच्च शौर्य सम्मान निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया गया था। सतपाल सिंह मूल रूप से पटियाला जिले के गांव फतेहपुर से संबंध रखते हैं। सतपाल सिंह की पत्नी और तीन बच्चे पटियाला में रहते हैं। सतपाल सिंह को इस बात का मलाल है कि उनका बड़ा बेटा अभी तक बेरोजगार है।

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