CBI के फंदे में BJP को सबसे अधिक चंदा देने वाली कंपनी, केस दर्ज, जानिए पूरा मामला?

CBI News: सीबीआई ने यह कार्रवाई एक शिकायत के आधार पर की है। केंद्रीय जांच एजेंसी को शिकायत की गई कि एनआईएसपी/एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों ने एमएनडीसी द्वारा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल लिमिटेड को भुगतान के बदले रिश्वत ली थी।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-04-13 12:04 GMT

CBI News (सोशल मीडिया) 

CBI News: केंद्रीय जांच एजेंसी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित भ्रष्टाचार के मामलें में बड़ी कार्रवाई की है। CBI ने एनआईएसपी के लिए 315 करोड़ रुपये की परियोजना के निष्पादन में कथित भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा को सबसे अधिक इलेक्टोरल ब्रांड चंदा देने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसी कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने इस्पात मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। बता दें कि मेघा इंजीनियरिंग वह कंपनी है, जिससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्मय से सबसे अधिक चुनावी चंदा दिया था।

शिकायत के आधार पर सीबीआई ने की कार्रवाई

सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, 315 करोड़ रुपये एनआईएसपी परियोजना के निष्पादन में कथित भ्रष्टाचार के मामले में इस्पात मंत्रालय के 8 अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। यह सभी एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट के अधिकारी हैं। सीबीआई ने यह कार्रवाई एक शिकायत के आधार पर की है। केंद्रीय जांच एजेंसी को शिकायत की गई कि एनआईएसपी/एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों ने एमएनडीसी द्वारा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल लिमिटेड को भुगतान के बदले रिश्वत ली थी। इसको आधार बनाते हुए शनिवार देर शाम सीबीआई ने मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर और इस्पात मंत्रालय के 8 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।

टॉप 10 में शामिल थी कंपनी

मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड चुनावी बांड के माध्यम से सबसे बड़े दानदाताओं कंपनी में से एक थी।मेघा इंजीनियरिंग शीर्ष 10 दानदाताओं की सूची में शामिल कंपनी थी। इस कंपनी ने सबसे अधिक चुनावी चंदा भारतीय जनता पार्टी को दिया था। पिछले महीने भारत के चुनाव आयोग सार्वजनिक की गई सूची के अनुसार, हैदराबाद स्थित बुनियादी ढांचा और निर्माण कंपनी ने अपनी संबंधित इकाई वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी के साथ मिलकर 1,186 करोड़ के चुनावी बांड खरीदे थे।

बांड खरीदते ही मिले कई प्रोजेक्ट

चुनावी बांड योजना में दूसरे शीर्ष दानकर्ता के रूप में पाए जाने के बाद हैदराबाद मुख्यालय वाली मेघा रडार पर आ गई। रिपोर्टों से पता चला है कि चुनावी बांड खरीदने के तुरंत बाद कंपनी को कई परियोजनाएं सौंपी गईं। एक विश्लेषण के अनुसार, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को बांड खरीदने के समय 2019 और 2023 के बीच पांच प्रमुख परियोजनाएं मिलीं। कंपनी द्वारा की गई 1,186 करोड़ की कुल चुनावी बांड खरीदारी में 584 करोड़ की सबसे अधिक राशि भाजपा को मिली। कंपनी ने तेलंगाना की बीआरएस ने 195 करोड़ और डीएनके ने 85 करोड़ का चुनावी चांद दिया। इसके अलावा एमईआईएल के बांड भुनाने वाले अन्य लोगों में वाईएसआर कांग्रेस, तेलुगु देशम, कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), जनता दल (सेक्युलर) और जन सेना पार्टी शामिल रही।

जानिए क्यों रद्द  हुआ इलेक्टोरल बॉन्ड?

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बीते मार्च में चुनावी बांड को लेकर डाली गईं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ने चुनावी बॉन्ड योजना असंवैधानिक' करार देते हुए रद्द किया था। एसबीआई को आदेश दिया था कि वह चुनावी बॉन्ड की हर जानकारी चुनाव आयोग को साझा करे। उसके बाद यह जानकारी चुनाव आयोग वेबसाइट प्रकाशित करे, ताकि लोगों को इलेक्टोरल बॉन्ड की सटीक जानकारी मिल सके कि किस पार्टी को किन लोगों से चुनावाई चंदा प्राप्त हुआ। कोर्ट के आदेश के बाद यह जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट में साक्षा भी की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि ये संविधान के तहत सूचना के अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि ये सभी डेटा बैंक को चुनाव आयोग को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए सभी बॉन्ड का विवरण साझा करना होगा।

Tags:    

Similar News