Gay Lawyer Saurabh Kirpal: सौरभ कृपाल को जज बनाने को लेकर केंद्र और SC कॉलेजियम आमने-सामने, जानें क्या है विवाद

Gay Lawyer Saurabh Kirpal: तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 11 नवंबर 2021 को सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्ति करने की सिफारिश की थी।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2023-01-20 09:31 GMT

Gay Lawyer Saurabh Kirpal (photo: social media )

Gay Lawyer Saurabh Kirpal: कॉलेजियम सिस्टम को लेकर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच मनमुटाव चरम पर है। इसके अलावा दोनों के बीच समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल को जज बनाने को लेकर भी विवाद है। कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने का फैसला पांच साल से केंद्र सरकार के पास लंबित पड़ा है। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है और जल्द से जल्द फैसला लेने को कहा है। अगर केंद्र कॉलेजियम की सिफारिश को मान लेता है तो सौरभ कृपाल देश के पहले समलैंगिक जज होंगे।

नवंबर 2021 में SC कॉलेजियम ने की थी सिफारिश

तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 11 नवंबर 2021 को सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्ति करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए कॉलेजियम से दोबारा उनके नाम पर विचार करने के लिए कहा था।

इससे पहले कृपाल का नाम साल 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट के जज के लिए आगे बढ़ाया गया था लेकिन मेरिट के कारण वह जज नहीं बन सके थे। इसके बाद सितंबर 2018, जनवरी और अप्रैल 2019 में भी उनके नाम पर चर्चा हुई थी लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई।

केंद्र सरकार को क्यों है उनपर आपत्ति

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईबी की एक रिपोर्ट सौरभ कृपाल के पक्ष में नहीं है। उनका गे पार्टनर जो कि स्विस दूतावास के साथ करता है, यूरोपीय मूल का है। उनके विदेशी पार्टनर की वजह से सुरक्षा के लिहाज से केंद्र ने उनका नाम खारिज कर दिया था।

हालांकि, एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में कृपाल इसे कोई वजह नहीं मानते। उनका मानना है कि गे होने के कारण उन्हें इस पद पर काबिज होने से रोका जा रहा है। कृपाल कहते हैं कि अगर मैं जज न बना तो 10-20 साल तक शायद कोई और समलैंगिक यहां तक नहीं पहुंच पाएगा।

कैसे चर्चा में आए थे ?

सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 को अपने ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिकता को अवैध बताने वाली आईपीसी की धारा 377 को रद्द कर दिया था। इसके बाद भारत भी दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया, जहां समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जा चुका है। इस मामले में सौरभ कृपाल ने ही पिटिशनर की ओर से अदालत में पैरवी की थी।

कौन हैं सौरभ कृपाल

सौरभ कृपाल भी देश के उन दिग्गज वकीलों में शुमार हैं, जिन्हें वकालत का पेशा विरासत में मिला। उनके पिता भूपेंद्र नाथ कृपाल देश के 31वें चीफ जस्टिस रह चुके हैं। अपने जमाने में वह देश के नामी वकीलों में शुमार थे। सौरभ कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस से फिजिक्स में बीएससी करने के बाद ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उनके पास संयुक्त राष्ट्र के साथ कार्य करने का भी अनुभव है। वे पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के जूनियर के तौर पर भी काम कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में करीब 2 दशक से वकालत कर रहे कृपाल को सिविल, कॉमर्शियल और संवैधानिक कानून का विशेषज्ञ माना जाता है।

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