सरकार ने कसी नकेल: डिजिटल न्यूज़, सोशल मीडिया और ओटीटी पर सख्ती, बने नियम
नई गाइडलाइन्स के अनुसार डिजिटल मीडिया पर समाचार प्रकाशित करने वालों को प्रेस कौंसिल के नियमों-दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। इसके अलावा केबल टीवी नेटवर्क्स नियमन कानून के तहत दिए गए प्रोग्राम संहिता का पालन करना होगा।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली। भारत सरकार ने डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और नेटफ्लिक्स-अमेज़न जैसे ओटीटी प्लेटफार्म के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। सोशल मीडिया के लिए नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। व्हाट्सएप, सिग्नल जैसे सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को तीन महीने का वक्त मिलेगा।
दरअसल, ट्विटर के साथ हाल ही में सामने आए कुछ मामलों के मद्देनजर सरकार ने गाइडलाइन्स को और सख्त बनाने का फैसला लिया था। खास बात है कि नए नियमों में सरकार प्लेटफॉर्म्स से पहली बार कंटेट पोस्ट करने वाले की जानकारी मांग सकती है। ऐसे में नए बदलाव व्हाट्सएप जैसी एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन देने वाले एप्स को खासा प्रभावित करेंगे। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई गाइडलाइन की जानकारी दी है।
विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार असहमति के अधिकार का सम्माीन करती है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाने के लिए फोरम दिया जाए। प्रसाद ने कहा कि हमारे पास कई शिकायतें आईं कि सोशल मीडिया पर मार्फ्ड तस्वी रें शेयर की जा रही हैं। आतंकी गतिविधियों के लिए इनका इस्तेकमाल हो रहा है। सोशल मीडिया प्लेाटफॉर्म्स के दुरुपयोग का मसला सिविल सोसायटी से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
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डिजिटल मीडिया
नई गाइडलाइन्स के अनुसार डिजिटल मीडिया पर समाचार प्रकाशित करने वालों को प्रेस कौंसिल के नियमों-दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। इसके अलावा केबल टीवी नेटवर्क्स नियमन कानून के तहत दिए गए प्रोग्राम संहिता का पालन करना होगा। ताकि ऑफलाइन (प्रिंट, टीवी) और डिजिटल मीडिया को काम करने के सामान अवसर प्राप्त हों। नई वेबसाइट्स को सूचना-प्रसारण मंत्रालय के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ओटीटी और डिजिटल न्यूमज मीडिया दोनों को शिकायत निस्तारण सिस्टईम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।
त्रिस्तरीय शिकायत निस्तारण तंत्र
सरकार की गाइडलाइन्स में कहा गया है कि सभी कंपनियों को तीन स्तर का शिकायत निस्तारण तंत्र बनाना होगा जिसमें दो लेवल स्व-नियमन के होंगे। पहले लेवल में पब्लिशर होगा और दूसरे लेवल में स्व-नियमन संस्था होगी। तीसरे लेवल में सूचना प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक तंत्र होगा।
नेटफ्लिक्स, अमेज़न, हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफार्म्स को एक चीफ कम्प्ल्यांस ऑफिसर, नोडल संपर्क व्यक्ति और एक रेजिडेंट शिकायत अधिकारी नियुक्त करना होगा। स्व-नियमन संस्था के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या सम्बंधित क्षेत्र के नामचीन व्यक्ति होंगे जो पब्लिशर को सलाह जारी कर सकेंगे। चीफ कम्प्ल्यांस ऑफिसर भारत का निवासी होना चाहिए। वह नियम-कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेवार होगा। नोडल संपर्क अधिकारी 24 घंटे विधि-व्यवस्था एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए जिम्मेवार होगा। सभी अधिकारियों के नाम और पते कंपनी की वेबसाइट या मोबाइल ऐप या दोनों पर दिए जायेंगे।
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सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को यूजर्स के लिए स्वैक्छिक वेरिफिकेशन तंत्र बनाना होगा। यानी ऐसा सिस्टम जिसमें यूजर अपने कंटेंट को खुद ही सत्यापित कर सकेगा। अगर कोई प्लेटफार्म किसी भी यूजर के कंटेंट को ब्लाक करता है तो इसकी वजह बतानी होगी और उस यूजर की बात सुननी होगी।
पोस्ट डालने वाले का नाम बताना होगा
ऐसी पोस्ट जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, सुरक्षा, विधि-व्यवस्था, अन्य देशों से सम्बन्ध, बलात्कार, सेक्सुअल कंटेंट से सम्बंधित हो और जिसके बारे में सरकार या कोर्ट पूछते हैं तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को बताना होगा कि वह पोस्ट सबसे पहले किसने डाली थी। सोशल मीडिया कंपनी को उसकी जानकारी अनिवार्य रूप से देनी होगी। अगर पहली बार कंटेंट शेयर करने वाला व्यक्ति भारत के बाहर है, तो कंटेंट को देश में जिसे पहली बार शेयर किया गया होगा, उसे पहला ओरिजिनेटर माना जाएगा।
सोशल मीडिया बिचौलिए
सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के दो केटेगरी के इंटरमीडीयरी या बिचौलिए होंगे जिनके शिकायत निस्तारण तंत्र होने चाहिए। इन प्लेटफार्म्स को शिकायत दर्ज करने वाले एक अधिकारी को नामित करना होगा। ये अधिकारी 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करेगा और 15 दिन के भीतर उस शिकायत का निस्तारण सुनिश्चित करेगा। हर महीने एक कम्प्ल्यांस रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी जिसमें ये बताया जाएगा कि कितनी शिकायत प्राप्त हुई, क्या क्या कार्रवाई की गयी और कौन सा कंटेंट हटाया गया।
ऐसा कंटेंट जिसमें किसी व्यक्ति के गुप्तांगों को दिखाया गया है, किसी व्यक्ति को पूरा या आंशिक रूप से नग्न अवस्था में दिखाया गया है, सेक्स करते दिखाया गया है या चेहरा बदल कर चित्र दिखाया गया है तो उस स्थिति में शिकायत पाने के 24 घंटे के भीतर वह सामग्री हटानी होगी।
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उम्र के हिसाब से स्व-वर्गीकरण
सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यावस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा। सभी ओटीटी प्लेटफार्म अपने कंटेंट को उम्र के आधार पर पांच केटेगरी में स्वतः वर्गीकृत करेंगे। ये वर्ग हैं – यू (यूनिवर्सल), यू/ए 7 प्लस, यू/ए 13 प्लस, यू/ए 16 प्लस और ए (एडल्ट)। ओटीटी प्लेटफार्म्स को यू/ए 13 प्लस और उसके ऊपर वाले कंटेंट के लिए पेरेंटल लॉक लागू करना होगा। ए केटेगरी वाले कंटेंट के लिए उम्र सत्यापन तंत्र स्थापित करना होगा।
लाल किले पर हिंसा का किया जिक्र
रविशंकर प्रसाद ने गाइडलाइन्स जारी करते हुए कहा कि सभी सोशल मीडिया का स्वाागत है लेकिन बड़े आदर से कहूंगा कि डबल स्टैंिडर्ड्स नहीं होने चाहिए। अगर कैपिटल हिल में कांग्रेस पर हमला होता है तो सोशल मीडिया पुलिस कार्यवाही का समर्थन करता है लेकिन लाल किले पर आक्रामक हमला होता है तो आप डबल स्टैंमडर्ड दिखाते हैं, ये किसी लिहाज से स्वीयकार्य नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने समझा कि मीडिया प्लेटटफॉर्म्सा के लिए एक लेवल-प्लेीइंग फील्डं होना चाहिए इसलिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा। लोगों की मांग भी बहुत थी।
केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ओटीटी प्ले्टफॉर्म्सक को रेगुलेट करने के क्या कदम उठाने पर विचार कर रही है। पिछले साल अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न ओटीटी, स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।
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इस बीच दूसरी तरफ, इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार से ओटीटी प्ले्टफॉर्म्सट को रेगुलेट करने से पहले स्टेंकहोल्डदर्स से बातचीत करने की अपील की है। पूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स, प्राइम और हॉटस्टार (डिज्नी प्लस) सहित कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।
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