ब्लैक लिस्ट से हटाए गए 312 विदेशी सिखों के नाम, ये है पूरा मामला
गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे 312 विदेशी सिखों के नाम काली सूची से हटा दिए हैं। अब इस सूची में सिर्फ दो नाम बचे हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी है।
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे 312 विदेशी सिखों के नाम काली सूची से हटा दिए हैं। अब इस सूची में सिर्फ दो नाम बचे हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी है।
बताया जा रहा है भारत सरकार ने काली सूची में सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 314 विदेशी नागरिकों के नामों की समीक्षा की थी। जिसके बाद से नाम हटाने का फैसला किया गया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस काली सूची से जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, वह अब भारत में अपने परिवारों से मिलने आ सकते हैं और अपनी जमीन से दोबारा जुड़ सकते हैं।
भारत सरकार ने सभी भारतीय मिशनों (दूतावासों) को सलाह दी है कि वे उन लोगों और उनके परिवारों को उचित वीजा जारी करें जिनका नाम केंद्र की काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में शामिल नहीं है।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उठाई थी मांग
सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2016 में बतौर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष केंद्र सरकार से विदेशों में रह रहे सिखों की बनाई गई ब्लैक लिस्ट रिवाइज करने की मांग की थी। इनमें वे सिख भी शामिल हैं, जो विदेशों में राजनीतिक शरण लेकर रह रहे हैं।
कैप्टन का कहना था कि वे देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हैं, बल्कि रोजगार के लिए विदेशों में रह रहे हैं, जबकि भारत में उनका नाम देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के आरोप लगाकर ब्लैक लिस्ट किया गया है।
प्रकाश सिंह बादल ने लिखी थी पीएम मोदी को चिट्ठी
पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस ब्लैक लिस्ट से 36 सिखों के नाम हटाए जाने की मांग की थी। मोदी के पीएम बनने के बाद बादल ने मोदी को चिट्ठी लिखकर होम मिनिस्ट्री से इस लिस्ट की समीक्षा कराने की रिक्वेस्ट की थी।
बादल ने कहा था कि वह चाहते हैं सूची से ऐसे लोगों का नाम हटा दिया जाए जिनके खिलाफ कोई लीगल प्रोसेस पेंडिंग नहीं है।
गौरतलब है कि अकाली दल केंद्र और पंजाब में बीजेपी का मजबूत सहयोगी है। अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में मिनिस्टर हैं।
विदेशों में रह रहे ब्लैक लिस्टेड सिखों की भारत वापसी तथा लिस्ट खत्म किए जाने को लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी ने भी सरकार को मेमोरेंडम सौपा था। कमेटी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी लेटर लिखकर लिस्ट की समीक्षा किए जाने की मांग की थी।
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क्या थी सिखों की मांग?
भारत सरकार सिखों की ब्लैक लिस्ट को ख़त्म करे और सिखों की भारत वापसी पर लगा बैन हटा दिया जाए। सिख ऑर्गनाइजेशन का कहना था कि कुछ ऐसे सिख हैं जिनके खिलाफ केसेस हैं। उन्हें भारत आने दिया जाए ताकि वे अपना केस लड़ सकें।
सिख संगठनों का कहना था कि दुनिया भर के कई देशों में सिखों ने राजनीतिक शरण ली हुई है। इनमें से बहुत से भारत वापस जाना चाहते हैं। ऐसे लोगों को पासपोर्ट, वीज़ा नहीं मिलता, उन्हें वापस इंडिया जाने की परमीशन दिलाई जाए।
कौन हैं ब्लैक लिस्ट में शामिल?
दरअसल साल 1980 के दौरान कई सिख नागरिक और सिख समुदाय से संबंधित विदेशी नागरिकों ने भारत के विरोध में प्रचार किया था। जिसके बाद कई सिखों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया था।
यहीं नहीं विदेशों में रह रहे ऐसे भारतीय सिख जो 1980-90 के दौर में खुद को बचाने के लिए अमेरिका, कैनेडा, यूरोप, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में सियासी शरण लिए हुए हैं।
1984 के दंगों के 30 साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी ब्लैक लिस्ट में नाम शामिल होने की वजह से ये लोग भारत नहीं आ सकते।
ऐसे लोगों का कहना है कि उस दौर में उन्हें सरकारी आतंकवाद का शिकार बनाया गया और देश छोड़ने के बाद उनपर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए।
ऐसे लोग जिनका नाम ब्लैक लिस्ट में होता है, उनके भारत आने पर पाबंदी होती है। सूची से मिलते-जुलते नाम वाले सिखों को भी फॉरेन जाने के दौरान एयरपोर्ट्स पर परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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