आम आदमी को राहत: केंद्र सरकार ने दिया ये तोहफा, अब नहीं होगी बेरोजगारी
सीएमआईई ने जो आंकड़ा पेश किया है उसके अनुसार सितंबर 2020 के दौरान शहरी बेरोजगारी दर में भी कमी आई है। इस दौरान शहरी बेरोजगारी दर अगस्त के 9.83 फीसदी के मुकाबले घटकर 8.45 फीसदी पर आ गई है।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी बढ़ी है। इस बीच केंद्र सरकार द्वारा आम आदमी को राहत दी गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2020 के मुकाबले सिंतबर 2020 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर में गिरावट दर्ज की गई है। सीएमआईई के मुताबिक, सितंबर 2020 में कुल मिलाकर नौकरी छिनने की दर 6.67 फीसदी रही है, जो एक महीने पहले अगस्तड में 8.35 फीसदी थी।
शहरी बेरोजगारी दर में भी कमी आई है
सीएमआईई ने जो आंकड़ा पेश किया है उसके अनुसार सितंबर 2020 के दौरान शहरी बेरोजगारी दर में भी कमी आई है। इस दौरान शहरी बेरोजगारी दर अगस्त के 9.83 फीसदी के मुकाबले घटकर 8.45 फीसदी पर आ गई है। हालांकि, सीएमआईई का कहना है कि इससे बहुत ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, सीएमआईई का कहना है कि सितंबर के लिए साप्ताएहिक श्रम बाजार के दूसरे आंकड़ों से अगस्तु के मुकाबले हालात खराब होने के संकेत मिल रहे हैं। अगस्ता में श्रम बाजार के लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौटने की प्रक्रिया में ठहराव नजर आया।
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राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.35% रही
सीएमआईई ने बेरोजगारी दर को लेकर सितंबर के पहले तीन हफ्तों के आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक, 20 सितंबर को समाप्त सप्ताह में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर (National Unemployment Rate) 6.35 फीसदी रही। वहीं, शहरी बेरोजगारी दर इस दौरान घटकर 8.83 फीसदी पर पहुंच गई। सितंबर के लिए मासिक आंकड़ों में राष्ट्री य बेरोजगारी दर बढ़कर 6।67 फीसदी रही। वहीं, शहरी बेरोजगारी दर सुधार के साथ घटकर 8.45 फीसदी पर पहुंच गई है।
16 अगस्त के बाद आनी शुरू हुई गिरावट
सेंटर की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 20 सितंबर को 30 दिन में औसत लेबर-फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LPR) 40.30 फीसदी रहा, जो अगस्त के 40.96 फीसदी से खराब रहा है। सीएमआईई के सीईओ महेश व्यास ने कहा कि इसमें 16 अगस्त के बाद गिरावट होनी शुरू हो गई थी। जून से अगस्त के मध्य् तक औसत एलपीआर ज्यादातर समय 40.9 फीसदी पर रहा था।
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इसके बाद सितंबर मध्य। तक यह औसत गिरकर 40.45 फीसदी पर आ गया। बता दें कि गिरती श्रम भागीदारी दर (LPR) बताती है कि काम करने वाली आबादी का एक छोटा सा हिस्सा कार्यरत है या बेरोजगार है और रोजगार की तलाश में है।
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अप्रैल और मई में रोजगारी का सबसे बुरा दौर
सीएमआईई के मुताबिक, हाल के हफ्तों में देखी गई बेरोजगारी दर में गिरावट गिरती श्रम भागीदारी दर और रोजगार दर में गिरावट के सामने अर्थहीन तथा भ्रामक है। कोरोना वायरस फैलने की रफ्तार को थामने के लिए पूरे देश में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में रोजगार को लेकर सबसे बुरा दौर सामने आया।
अप्रैल 2020 में बेरोजगारी दर 23.52 फीसदी और मई में 21.7 फीसदी रही। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, इसी दौरान शहरी बेरोजगारी दर अप्रैल में 25 फीसदी और मई में 23.14 फीसदी दर्ज की गई।
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