पश्चिम बंगाल के बाद अब केरल को केंद्र सरकार की चेतावनी, विदेश से जुड़े मामलों से दूर रहने की नसीहत

Central vs State: केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को नसीहत दी है कि उन्हें अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-07-26 03:54 GMT

S. Jaishankar (photo: social media )

Central vs State: पश्चिम बंगाल के बाद अब केंद्र सरकार की ओर से केरल को भी चेतावनी दी गई है। केंद्र सरकार ने केरल में विदेशी सहयोग सचिव की नियुक्ति को संविधान के विरुद्ध बताया है। विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा कि विदेश से जुड़े हुए मामले पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन हैं और यह राज्य सरकार का विषय नहीं है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को नसीहत दी है कि उन्हें अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

ममता बनर्जी को दायरे में रहने की नसीहत

इससे पहले केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को भी सप्ताह की शुरुआत में उसकी सीमाओं की याद दिलाई थी। दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान दिया था कि यदि बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं नहीं रुकीं तो राज्य सरकार बांग्लादेश से आने वाले लोगों को शरण देने के लिए तैयार है।

ममता बनर्जी के इस बयान पर बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार भी तीखी प्रतिक्रिया जता चुकी है। शेख हसीना सरकार की ओर से इस बाबत केंद्र सरकार को आधिकारिक नोट भी भेजा गया है। इससे पूर्व केंद्र सरकार ने भी ममता सरकार को चेतावनी दी थी कि शरणार्थियों से जुड़ा मुद्दा राज्य सरकार के दायरे में नहीं आता।

विदेश से जुड़े हुए मामले केंद्र सरकार के अधीन

इस बीच केरल सरकार की ओर से विदेशी सहयोग सचिव नियुक्त किए जाने पर भी केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के सूची-1 के आइटम 10 में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है कि विदेश से जुड़े हुए मामले और ऐसे सभी मामले जो संघ के किसी अन्य देश के साथ संबंध से जुड़े हुए हैं, उन पर केंद्र सरकार का ही विशेषाधिकार है और केंद्र सरकार ही इस बाबत फैसला ले सकती है।

विदेश से जुड़ा कोई भी मामला राज्य सरकार का विषय नहीं है। ऐसे में राज्य सरकारों को विदेश से जुड़े हुए किसी भी मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है।

कनाडा के मंदिरों में तोड़फोड़ पर तीखी प्रतिक्रिया

इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि कनाडा उन भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो हिंसा के जरिए भारतीय नेताओं, राजनयिकों, एयरलाइंस और विभिन्न अन्य संस्थाओं को धमकी दे रहे हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि इन मामलों में कड़ी और समान स्तर की कार्रवाई की जाए।

कनाडा में एक शहर के मंदिरों में की गई तोड़फोड़ पर भी भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने इस मामले को दिल्ली और ओटावा दोनों जगहों पर कनाडा के अधिकारियों के सामने पूरी मजबूती के साथ उठाया है। हम तोड़फोड़ की निंदा करते हैं और हमें उम्मीद है कि कनाडा के अधिकारी इन मामलों में दोषी लोगों के खिलाफ त्वरित और कड़ी कार्रवाई करेंगे। कनाडा के मंदिरों में बार-बार तोड़फोड़ की जा रही है और इस तोड़फोड़ का मकसद समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

बांग्लादेश में जल्द शांति की उम्मीद

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत बांग्लादेश की स्थिति पर बारीक नजर रखे हुए है और अभी तक करीब 6700 भारतीय छात्रों की स्वदेश वापसी हो चुकी है। भारत ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा को वहां का आंतरिक मामला बताया है। उन्होंने कहा कि एक पड़ोसी होने के नाते हमें जल्द ही बांग्लादेश में शांति स्थापित होने की उम्मीद है। बांग्लादेश सरकार की मदद से हम अपने लोगों की स्वदेश वापसी में कामयाब हुए हैं।

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