केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट से मांग, सजा के बाद 7 दिन में हो दोषी को फांसी

निर्भया रेप केस के दोषियों को फांसी में हुई देरी के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से बड़ी मांग की है। सरकार ने देश की सर्वोच्च अदालत से सजा-ए-मौत के लिए 7 दिन की समयसीमा तय करने की मांग की है। सरकार चाहती है कि फांसी की सजा पाए दोषियों को 7 दिन के अंदर फंदे पर लटका दिया जाए।

Update: 2020-01-22 15:08 GMT

नई दिल्ली: निर्भया रेप केस के दोषियों को फांसी में हुई देरी के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से बड़ी मांग की है। सरकार ने देश की सर्वोच्च अदालत से सजा-ए-मौत के लिए 7 दिन की समयसीमा तय करने की मांग की है। सरकार चाहती है कि फांसी की सजा पाए दोषियों को 7 दिन के अंदर फंदे पर लटका दिया जाए।

गृह मंत्रालय की याचिका इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2012 के निर्भया गैंगरेप और हत्या के केस में चार दोषियों को फांसी की सजा काफी दिनों से लंबित है। रिव्यू, क्यूरेटिव और दया याचिका में लंबा समय लगा है।

गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए समयसीमा तय हो। सरकार ने कहा है कि यदि दोषी दया याचिका दायर करना चाहता है तो सक्षम कोर्ट द्वारा डेथ वॉरंट जारी किए जाने के 7 दिन के भीतर करने की बाध्यता हो।

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गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि सभी अदालतों, राज्य सरकारों, जेल प्रशासन को निर्देशित किया जाए कि दया याचिका खारिज होने के बाद सात दिन के भीतर डेथ वॉरंट जारी किया जाए और इसके बाद सात दिन के भीतर उसे फांसी दे दी जाए, चाहे उसके साथी दोषियों के रिव्यू पिटिशन, क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका किसी भी चरण में हो।

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सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को निर्भया केस के दोषी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने यह दावा करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी कि वह अपराध के समय नाबालिग था। कोर्ट ने कहा था कि वह नई याचिका दायर करके मामले को लटका नहीं सकता।

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दिल्ली की एक कोर्ट ने हाल ही में इस केस के चार दोषियों विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह और पवन के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी किया है। इसके मुताबिक इन्हें 1 फरवरी को फांसी दी जाएगी। पिटिशन लंबित होने की वजह से इनकी फांसी 22 जनवरी से टल गई और 1 फरवरी के लिए निर्धारित हुई।

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