दिल्ली की रहने वाली 18 साल की चैतन्या ब्रिटिश उच्चायुक्त बनी, जानिए उनके बारें में

चैतन्या ने बताया कि वो पहले से ही ब्रिटिश लाइब्रेरी में आती रही हैं। इस चीज का उन्हें फायदा मिला और फिर उन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बारें में सोचा।

Update: 2020-10-12 05:52 GMT
दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर एक प्रतियोगिता का आयोजन करता है।जिसमें 18 से 23 साल की युवतियां पार्टिसिपेट कर सकती हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली की रहने वाली 18 साल की लड़की चैतन्या वेंकटेश्वरन के लिए इस बार अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का दिन बेहद ही खास रहा।

भारत में स्थित ब्रिटिश उच्चायोग ने अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर चैतन्या को एक दिन के लिए अपना उच्चायुक्त बनाया। अपनी तरह की वो चौथी ऐसी युवती हैं जिसे इतनी कम उम्र में इस पद पर बैठने का अवसर प्राप्त हुआ हैं।

लेकिन ये सब उसे इतनी आसानी से नहीं मिला। बल्कि उसने इसके लिए काफी मेहनत भी की थी। वह लम्बे वक्त से इसके लिए तैयारी भी कर रही थी।

चैतन्या वेंकटेश्वरन की फोटो(सोशल मीडिया)

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ब्रिटिश लाइब्रेरी में आने का मिला फायदा

चैतन्या ने बताया कि वो पहले से ही ब्रिटिश लाइब्रेरी में आती रही हैं। इस चीज का उन्हें फायदा मिला और फिर उन्होंने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के बारें में सोचा।

उन्होंने अपने एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए कहा कि एक महिला जब इतने बड़े पद पर होती है तो उसे क्या करना होता है, इस बारे में समझकर अच्छा लग रहा है।

वहीं इस बारें में ब्रिटिश उच्चायोग का कहना है कि उनके लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का दिन बेहद खास होता है, क्योंकि इस दिन युवा पीढ़ी किस तरह सोचती है उन्हें इस बारें में वो जानने का मौका मिलता है।

चुने गये प्रतिभागियों को अलग-अलग डिपार्टमेंट से मिलवाया जाता है और उन्हें हर अनुभव देने का प्रयास किया जाता है।

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चैतन्या वेंकटेश्वरन की फोटो(सोशल मीडिया)

18 से 23 साल की युवतियां इस प्रतियोगिता में कर सकती हैं पार्टिसिपेट

यहां ये भी बता दें कि हर साल दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर एक प्रतियोगिता का आयोजन करता है।

जिसमें 18 से 23 साल की युवतियां पार्टिसिपेट कर सकती हैं, उन्हें अलग-अलग दर्जे के कुछ एग्जाम से गुजरना पड़ता हैं। जो इस एग्जाम में क्वालीफाई करता है उसे एक दिन ब्रिटिश उच्चायुक्त के तौर पर काम करने का मौक़ा मिलता है।

ये प्रतियोगिता साल 2017 से आयोजित की जा रही है। चैतन्या ने बताया कि उन्होंने अपने 24 घंटे के कार्यकाल के दौरान सभी डिपार्टमेंट के हेड के साथ मीटिंग की, पुलिस अफसरों से मुलाकात की, मीडिया से बात की और साथ ही स्कॉलरशिप ले रहे छात्रों के साथ वार्तालाप किया।

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उन्होंने ये भी बताया कि इस बार कोरोना का संकट था, तो इसलिए मीटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। इस दौरान कई विषयों पर बात हुई, कोरोना संकट के दौरान महिलाओं की स्थिति को लेकर भी विचार-विमर्श किया गया।

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