Chandrayaan 3 Mission Hero: इतिहास रचने की घड़ी, जानिए कौन हैं भारत के मून मिशन के हीरो

Chandrayaan 3 Moon Mission Hero: चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जा रहा है जहां आज तक दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका है। पूरे देश में इस अभियान की कामयाबी के लिए प्रार्थनाएं और दुआएं की जा रही हैं।

Update:2023-08-23 10:35 IST
Chandrayaan 3 Moon Mission Hero (photo: social media )

Chandrayaan 3 Moon Mission Hero: आखिरकार वह घड़ी नजदीक आ गई है जिसका पूरा देश कई दिनों से बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इतिहास रचने की इस घड़ी में भारत का चंद्रयान-3 आज चांद की सतह पर उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसरो का कहना है कि मिशन बिल्कुल तय समय के अनुसार चल रहा है और सभी प्रणालियों की नियमित जांच की जा रही है। इस ऐतिहासिक घड़ी में इसरो की टीम पूरी तरह ऊर्जा और उत्साह से लबरेज दिख रही है।

इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जा रहा है जहां आज तक दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका है। पूरे देश में इस अभियान की कामयाबी के लिए प्रार्थनाएं और दुआएं की जा रही हैं। भारत के इस महान अभियान में देश के कई वैज्ञानिकों का बड़ा योगदान है। ऐसे में हमें उन प्रमुख वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए जिनके दम पर भारत आज इतिहास रचने जा रहा है।

एस सोमनाथ (Chandrayaan 3 Hero S Somanath)

देश के महत्वाकांक्षी मूल मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ की बहुत बड़ी भूमिका है। वे अभियान की प्लानिंग से लेकर उसे हकीकत में धरातल पर उतारने की पूरी प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। सोमनाथ की गिनती देश के प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिकों में की जाती रही है।

इससे पूर्व उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र-अंतरिक्ष एजेंसी के लिए रॉकेट प्रौद्योगिकियों के विकास के प्राथमिक केंद्र के निदेशक के रूप में भी काम किया है। इसरो के चेयरमैन का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने भारत के मूल मिशन में गहरी दिलचस्पी ली है। चंद्रयान-3, आदित्य-एल1 (सूर्य मिशन) और गगनयान आदि महत्वपूर्ण मिशनों के काम में तेजी लाने में उनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

वीरमुथुवेल (Chandrayaan 3 Hero P Veeramuthuvel)

चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक के रूप में पी वीरमुथुवेल ने भारत को ऐतिहासिक कामयाबी दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है। वे 2019 से ही चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक के रूप में कम कर रहे हैं। वे इसरो मुख्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उपनिदेशक के रूप में कम कर चुके हैं। इसरो के चंद्रयान-2 मिशन के दौरान भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। आज उनकी मेहनत का बड़ा नतीजा दिखने वाला है और पूरा देश उत्साहित दिख रहा है।

मोहन कुमार (Chandrayaan 3 Hero Mohan Kumar)

भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 अभियान के मिशन निदेशक की भूमिका मोहन कुमार निभा रहे हैं। वे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। इससे पहले वे भारत के कई और बड़े अभियानों से भी जुड़े रहे हैं। इससे पहले वे LVM3-M3 मिशन पर वन वेब इंडिया 2 उपग्रहों के सफल वाणिज्यिक प्रक्षेपण के निदेशक के रूप में काम कर चुके हैं।

एम शंकरन (Chandrayaan 3 Hero M Sankaran)

यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में निदेशक एम शंकरन की भी भारत के मून मिशन में काफी अहम भूमिका है। इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रह का निर्माण यह केंद्र ही करता है। शंकरन की भूमिका इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि वे देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपग्रह बनाने वाली पूरी टीम का मार्गदर्शन करते हैं।

एस उन्नीकृष्णन नायर

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर भी चंद्रयान-3 मिशन से काफी गहराई से जुड़े हुए हैं। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के प्रमुख के रूप में एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न प्रमुख कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मार्क-III को लॉन्च व्हीकल मार्क-III रॉकेट नाम दिया गया था। इसे केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के थुंबा में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की ओर से ही विकसित किया गया था।

महिला वैज्ञानिकों का भी बड़ा योगदान

इन शीर्ष वैज्ञानिकों के अलावा एक लंबी चौड़ी टीम भी इस पूरे अभियान में जुटी हुई है। इस टीम की मेहनत भी रंग लाती दिख रही है और भारत आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने की ओर अग्रसर है। नेतृत्व करने वाली भूमिका में पुरुष वैज्ञानिकों की मौजूदगी के बावजूद महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

चंद्रयान-3 अभियान में 54 महिला इंजीनियरों/वैज्ञानिकों का योगदान भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मिशन को कामयाब बनाने के लिए महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम भी लगातार जुटी हुई है। इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि यह टीम विभिन्न प्रणालियों की देखरेख और जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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