Coconut Shell: प्लास्टिक मुक्त का विकल्प नारियल की खोल
Coconut Shell: ऐसा ही ऐक्टिविस्ट छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर ज़िले से है, जिनका काम इको फ़्रेंडली शहर को तैयार करना है । नारियल से वस्तुएँ बनाकर उसे उपयोग में ला रहे हैं ।
Coconut Shell: दुनिया को प्रदूषित होने से बचाना है तो हमारा यह ध्येय होना चाहिए कि हम कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करें ।और यूज़्ड प्लास्टिक को सही जगह ही फेकें ।हम सभी यह जानते हैं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल न सिर्फ़ पर्यावरण बल्कि इंसानों व अन्य जीवों के लिए भी घातक है।फिर भी इसका इस्तेमाल करना हम तुरंत ही बंद नहीं कर सकते हैं क्योंकि विश्व की एक बड़ी जनसंख्या इसका इस्तेमाल कर रही है।क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक ज़मीन में आसानी से नष्ट नहीं होती है,इसे नष्ट होने में 450 वर्ष से ज़्यादा लग जाते हैं।तब तक ना जाने कितनी सदियाँ और जेनरेशन ख़त्म हो चुकी होगी ।
भारत में ऐसे बहुत से सोशल वर्कर और ऐक्टिविस्ट हैं जो पर्यावरण को बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं ।एक ऐसा ही ऐक्टिविस्ट छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर ज़िले से है, जिनका काम इको फ़्रेंडली शहर को तैयार करना है ।उनका कहना वे अकेले तो शहर को बदल नहीं सकते हैं पर लोगों को अपने किए गए कामों को दिखा कर प्रेरित कर सकते हैं ।
इस शख़्स का नाम सुरेंद्र बैरागी है, जो कई सालों से प्लास्टिक का उपयोग नहीं कर रहे हैं बल्कि उसकी जगह नारियल से वस्तुएँ बनाकर उसे उपयोग में ला रहे हैं ।
वे नारियल की खोल को काम में ले रहे हैं ।हम नारियल को खाने के बाद उसकी खोल को फेंक देते हैं । लेकिन सुरेंद्र बैरागी इन्हीं खोलो को इकट्ठा करके उनसे तरह तरह के बर्तन जैसे कप , कटोरी , चम्मच , जग आदि बना रहे हैं ।
पेशे से वकील हैं सुरेंद्र बैरागी
सुरेंद्र बैरागी पेशे से वकील हैं । पर इस काम में उनका पूरा परिवार उनकी सहायता करता है ।सुरेंद्र बैरागी की पत्नी पुरानी चादर व उपयोग में न आने वाले कपड़ों से थैला सिलने का काम करती हैं और सुरेंद्र, उनके बच्चे और मित्र बाज़ार में इन्हें बांट कर आ जाते हैं। साथ ही वो वहां लोगों से अनुरोध करते हैं कि वो प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें।
सुरेंद्र बैरागी एक बर्तन बैंक भी चलाते हैं, जिसके अंतर्गत वो शादी में इस्तेमाल के लिए मुफ़्त में बर्तन मुहैया कराते हैं, ताकि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम किया जाए।
सुरेंद्र जी का कहना हौ उन्हें प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की प्रेरणा मोदी जी से मिली ।15 अगस्त, 2019 को जब मोदी जी टीवी पर भाषण दे रहे थे ।तब ही उन्होंने मन में यह विचार बना लिया था वे उस दिन से ही प्लास्टिक को कम से कम उपयोग करेंगें ।सुरेंद्र ये काम 15 अगस्त, 2019 से कर रहे हैं।
सुरेंद्र बैरागी की इस पहल की रायपुर शहर में जमकर चर्चा हो रही है।वे प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए हम अपना योगदान दे रहे हैं ।सुरेंद्र बैरागी ने कहा कि घर में खाली समय में नारियल खोल से कई तरह की सामग्री बनाई जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा चाय का कफ और एक बड़ा जग बनाया जा रहा है।इसमें गरम चाय रखी जा सकती है।इसके अलावा पीने का पानी भी रखा जा सकता है।
नारियल का खोल एक अच्छा विकल्प
आने वाले समय में भारत में प्लास्टिक से बनी सभी वस्तुओं पर बैन लग सकता है ।ऐसे में नारियल की खोल एक अच्छा विकल्प हो सकती है ।सुरेंद्र बैरागी ने कहा कि रोजाना मंदिर जाते है और 2 से 3 नारियल फोड़ते है।तब ख्याल आया की इस नारियल खोल से चाय का कप बनाया जा सकता है।इसके बाद घर में नारियल खोल से सामग्री बनानी शुरू कर दी।सुरेंद्र का कहना है कि आप यह खोल कहीं से पा सकते हैं ।सुरेंद्र बैरागी ने बताया कि मंदिरों और नारियल की बर्फी बनाने वाले दुकानों से नारियल का खोल आसानी से मिल सकता है ।
कप को बनाने के लिए नारियल के बुरादे और फेवीक्विक का उपयोग किया जाता है ताकि ये अच्छे से जुड़े रहें ।बनाने के बाद इसमें नारियल तेल लगाया जाता है।जिससे कप में चमक आ जाती है।एक कप को हाथ से बनाने में 20 मिनट का समय लगता है। अगर इसे मशीन से बनाया गए तो 1 घंटे में 2 दर्जन बनाए जा सकते है।
उनकी यह कला अद्भुत हैं क्योंकि अब तक भारत में यह प्रयोग किसी ने नही किया है ।रायपुर के सुरेंद्र बैरागी और उनकी पत्नी आशा बैरागी ऐसे शिल्पकार हैं, जिन्होंने अपनी कारीगरी से हर किसी का दिल जीत लिया है।