चीन की हालत खराब: तैनात हुए महाबलवान चिनूक और अपाचे, हाई-अलर्ट पर सेना
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में बीते कई दिनों से चल रहे खूनी हिंसा के बाद एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर माहौल काफी ज्यादा तनावग्रस्त हो गया है।
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में बीते कई दिनों से चल रहे खूनी हिंसा के बाद एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर माहौल काफी ज्यादा तनावग्रस्त हो गया है। इस बीच भारत ने चीन के बॉर्डर पर अपने दो आधुनिक हेलीकॉप्टर- चिनूक और अपाचे को तैनात किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वायुसेना ने चंडीगढ़ से चिनूक हेलीकॉप्टर को भेजा है, जबकि पठानकोट से अपाचे हेलिकॉप्टर को एलएसी पर तैनात किया गया है। धोखेबाज चीन को इस हालात में मुहंतोड़ जवाब देने के लिए सेना पूरी तरह से तैयार हैं।
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सेना, नौसेना और वायुसेना अलर्ट पर
आपकोे बता दें कि लद्दाख बॉर्डर पर मिग, हरक्यूलिस, मिराज, सुखोई विमान पहले से ही लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल (एलएसी) पर तैनात हैं। लिहाजा सेना, नौसेना और वायुसेना को अलर्ट पर रखा गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने तीनों सेनाओं को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। इतना ही नहीं भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सतर्कता और चौकसी बढ़ाने को कहा गया है।
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चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात
बॉर्डर पर चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से युद्ध के हथियारों को ले जाने में मदद मिलती है। हाल के दिनों में लद्दाख के कई इलाकों में रोड बनाने में भी इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया।
बता दें, भारत ने सितंबर 2015 में बोइंग के साथ 8,048 करोड़ रुपये में 15 सीएच-47एफ़ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया था। ये हेलीकॉप्टर बेहद भारी भरकम सामान को ले जाने में सक्षम है। इस हेलीकॉप्टर की ख़ासियत है कि यह छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है।
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हारता चीन
इसके साथ ही आधुनिक युद्धक क्षमता वाले ये हेलिकॉप्टर अमरीकी कंपनी बोइंग ने बनाए हैं। इन अपाचे हेलीकॉप्टर के पंखों का फैलाव 17.15 फीट तक होता है। जबकि ऊंचाई 15.24 फीट है।
इसके अलावा प्राइमरी मिशन के लिए इसका कुल वजन 6838 किलोग्राम होता है। ये अधिकतम 279 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इस हेलीकॉप्टर में दो हाई परफॉर्मेंस टर्बोशाफ्ट इंजन होते हैं। वहीं अगर हथियार की बात करें तो ये हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइलें, रॉकेट, ऑटोमेटिक कैनन गन ले जाने में सक्षम है। जिससे बॉर्डर पर सेना को इन परेशानियों का सामने न करना पड़े।
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