चीन का काला सच: खुल गया इसका ये राज, इसलिए गलवान है प्यारा

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर बीते महीने मई से भारत और चीनी के बीच में तनातनी शुरू हो गई थी।

Update: 2020-06-20 10:20 GMT

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में लाइन ऑफ एक्च्यूअल कंट्रोल (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर बीते महीने मई से भारत और चीनी के बीच में तनातनी शुरू हो गई थी। लेकिन जून में अब इस तनातनी ने भयंकररूप धारण कर लिया है। जिसके चलते हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 वीर जवान शहीद हो गए, साथ ही चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। अब ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिरकार गलवान घाटी में चीन भारत की जमीन क्यों हथिया चाहता है।

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हिस्सों पर अपना कब्जा चाहता

तो बात ये है कि अक्साई चिन पर हमेशा से भारत का दावा रहा है लेकिन इस इलाके में चीन ने अपना कब्जा कर रखा है। यह पठारी क्षेत्र है। इस इलाके में चीन सामरिक तौर पर अपनी मौजूदगी और मजबूत करना चाहता है इसलिए वो इसके आगे के हिस्सों पर भी अपना कब्जा चाहता है।

पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी के जिस इलाके को लेकर बीते कई दिनों से विवाद चल रहा है वो भारत के उत्तरी इलाके में सुदूर, बेहद संकरे और कटीले पहाड़ों और तेजी से बहती नदियों के बीच स्थित है।

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शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे

साथ ही ये क्षेत्र लगभग 14,000 फीट (4,250 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है और तापमान अक्सर शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रहता है।

ऐसे में सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा फेस-ऑफ का सबसे प्रमुख कारण भारत का ट्रांसपोर्ट लिंक को बेहतर बनाने के लिए सड़कों और हवाई अड्डों का निर्माण करना है। चीन इस इलाके में भारत की मजबूत स्थिति से पूरी तरह बौखलाया हुआ है।

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4,056 किमी (2,520 मील) लंबी सीमा रेखा

आपको बता दें, भारत-चीन दोनों देशों के बीच 1993 में हुए एक समझौते के अनुसार, वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) पर कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा। लेकिन चीन ने अपनी चालबाजी के जरिए बिना एक भी गोली चलाए तनाव को शीर्ष स्तर पर पहुंचा दिया। इस चालबाजी को चीन ने अच्छी योजना बना कर किया है।

सीमा पर इस क्षेत्र में दोनों देश के बीच 4,056 किमी (2,520 मील) लंबी सीमा रेखा है। हिमालय के इस क्षेत्र में चीन भारत के विशाल भूखंड पर अपना दावा करता रहा है।

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