उद्धव सरकार का कारनामा, एनसीपी ट्र्स्ट को दिया कौड़ी के भाव जमीन

सीएम उद्धव ठाकरे ने अपना पद संभालने के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को 51 हेक्टेयर जमीन का उपहार दिया है। राज्य सरकार ने पवार की अध्यक्षता वाली संस्था को कौड़ियों के भाव जमीन आवंटित किया है। इस फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है।

Update: 2020-02-07 06:37 GMT

मुंबई: सीएम उद्धव ठाकरे ने अपना पद संभालने के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को 51 हेक्टेयर जमीन का उपहार दिया है। राज्य सरकार ने पवार की अध्यक्षता वाली संस्था को कौड़ियों के भाव जमीन आवंटित किया है। इस फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। भाजपा ने नियमों को ताक पर रखकर भूखंड का आवंटित करने का आरोप लगाया है।

 

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जमीन मराठवाड़ा के जालना में

उद्धव सरकार ने एनसीपी चीफ की अध्यक्षता वाले वसंतदादा चीनी संस्थान को मामूली कीमत पर विशेष मामले के तहत 51.33 हेक्टेयर जमीन आवंटित की है। जिसका बाजार मूल्य करीब 10 करोड़ रुपये है। यह जमीन मराठवाड़ा के जालना जिले में है। कृषि विभाग की ओर से बीज फर्म स्थापित करने के लिए सरकार ने इस जमीन का अधिग्रहण किया था।

कौड़ियों के भाव जमीन

इस मामले में उद्धव सरकार ने राजस्व विभाग, वित्त विभाग की आपत्तियों और राज्य के महाधिवक्ता की राय को दरकिनार कर कौड़ियों के भाव जमीन आवंटित किया है। राजस्व विभाग ने तर्क दिया था कि 1997 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार रियायती आधार पर जमीन का आवंटन नहीं हो सकता है। जिस उद्देश्य के लिए जमीन अधिग्रहीत की गई है, उस भूमि का उपयोग उसी काम के लिए होना चाहिए।

बाजार मूल्य के हिसाब से आवंटन

ऐसा नहीं होने पर जमीन मूल मालिकों को वापस कर दिया जाना चाहिए। वहीं, वित्त विभाग ने सरकारी भूमि के आवंटन के बारे में बोली लगाने की प्रक्रिया का पालन करते हुए बाजार मूल्य के हिसाब से जमीन आवंटित करने का सुझाव दिया था।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा कि सरकार ने वसंतदादा चीनी संस्थान को जमीन देने का निर्णय लिया है। इससे साफ है कि एक बार फिर महाराष्ट्र में शरद पवार का शासन शुरू हो गया है। जब भी पवार सत्ता में आते हैं तब अपने संगठन और अपने आसपास के लोगों को सरकारी जमीन की खैरात बांटते हैं।

 

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वहीं, एनसीपी प्रवक्ता व मंत्री नवाब मलिक ने बृहस्पतिवार को सफाई दी कि वसंतदादा चीनी संस्थान को नियमों के तहत जमीन का आवंटन किया गया है। संस्थान किसानों के हित में काम करती है। संस्थान को जमीन किराए पर दी गई है और सरकारी तिजोरी से अनुदान भी दिया गया है।

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