कम्युनिटी ट्रांसमिशन: विशेषज्ञ आईसीएमआर से सहमत नहीं, सरकार को दी ये सलाह
देश में कोरोना ने काफी रफ्तार पकड़ ली है और काफी संख्या में लोग इस वायरस का शिकार बन रहे हैं। रोजाना करीब 10,000 से अधिक नए मामले सामने आने से कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा तीन लाख से ऊपर पहुंच गया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: देश में कोरोना ने काफी रफ्तार पकड़ ली है और काफी संख्या में लोग इस वायरस का शिकार बन रहे हैं। रोजाना करीब 10,000 से अधिक नए मामले सामने आने से कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा तीन लाख से ऊपर पहुंच गया है। इसके बावजूद भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) यह बात मानने को नहीं तैयार है कि इस वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। दूसरी और विशेषज्ञ आईसीएमआर की दलीलों से सहमत नहीं हैं और उनका कहना है कि सरकार को हठ छोड़कर कम्युनिटी ट्रांसमिशन की सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए।
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सच्चाई स्वीकार करे सरकार
इन विशेषज्ञों का कहना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या से इस बात की पुष्टि होती है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। उनका कहना है कि सरकार को इस मामले में सच्चाई मान लेनी चाहिए ताकि लोगों की लापरवाही को दूर किया जा सके। देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या के मामले में भारत अब दुनिया में चौथे नंबर पर पहुंच गया है। अमेरिका अभी भी कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है और उसके बाद ब्राजील, रूस व इसके बाद भारत चौथे स्थान पर है।
आईसीएमआर ने दी थी यह दलील
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव गुरुवार को सीरो सर्वे की रिपोर्ट के आधार आधार पर यह दावा किया था कि देश में अभी कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं शुरू हुआ है। देश में कोरोना के संक्रमण का ट्रेंड जानने के लिए पहली बार यह सर्वे कराया गया है। देश के विभिन्न 65 जिलों में 26,400 लोगों के बीच कराए गए सर्वे में सिर्फ 0.73 फीसदी लोग ही कोरोना से संक्रमित पाए गए।
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शुरू हो चुका है कम्युनिटी ट्रांसमिशन
दूसरी ओर वायरोलॉजी, पब्लिक और मेडिसिन क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञ आईसीएमआर के सर्वे से सहमत नहीं है। एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर एमसी मिश्रा का कहना है कि इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों के पलायन और लॉकडाउन में ढील के बाद कोरोना की रफ्तार में काफी तेजी आई है। अब इस वायरस का प्रकोप ऐसे इलाकों में भी फैल गया है जहां पहले कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया था।
उनका कहना है कि सरकार को कम्युनिटी ट्रांसमिशन की सच्चाई को मान लेना चाहिए ताकि लोग इसे हल्के में न लेते हुए सतर्क रहें। उन्होंने आईसीएमआर के सर्वे को खारिज करते हुए कहा कि कोरोना के व्यापक संक्रमण को देखते हुए इसमें पर्याप्त लोगों के नमूने नहीं लिए गए। उनका कहना है कि यह सर्वे कोरोना के मामले में देश की सच्ची तस्वीर नहीं पेश करता।
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स्टडी पर खड़े किए सवाल
वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील का तो कहना है कि देश में बहुत पहले ही कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया था मगर अभी तक सरकार इस सच्चाई को मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर की स्टडी में ही यह बात बताई गई है कि कोरोना के शिकार 40 फ़ीसदी मामलों में न तो मरीज विदेश गए और न ही किसी अन्य कोरोना मरीज के संपर्क में आए। उन्होंने सवाल किया कि यह कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है तो और क्या है?
महानगरों में इस बात की पुष्टि
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. कुमार ने कहा कि आईसीएमआर का सर्वे अप्रैल की स्थिति बताता है, जब देश में स्थितियां अच्छी थीं। अप्रैल के आंकड़ों के आधार पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि हम कम्युनिटी ट्रांसमिशन के दौर में नहीं पहुंचे हैं। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि यदि आईसीएमआर की दलीलों को मान भी लिया जाए तो यह सच्चाई है कि दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई जैसे महानगरों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है।
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