प्रशांत भूषण ने CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ दायर की शिकायत, जानें क्यों

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र के खिलाफ 'मेडिकल कॉलेज घोटाला' मामले में एक शिकायत दायर की है और सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि वे इस

Update:2018-01-17 08:15 IST

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र के खिलाफ 'मेडिकल कॉलेज घोटाला' मामले में एक शिकायत दायर की है और सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में जांच करें।

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कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटबिलिटी एंड रिफॉर्म्स के संयोजक के रूप में प्रशांत ने न्यायमूर्ति मिश्र के खिलाफ अंदरूनी जांच की मांग की है और कहा है कि सीजेआई ने स्पष्ट तौर पर गंभीर कदाचार के कई कार्य किए हैं, जिनकी जांच इस न्यायालय के तीन/पांच न्यायाधीशों की एक समिति द्वारा की जानी चाहिए।

भूषण ने न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी को संबोधित अपनी शिकायत में प्रधान न्यायाधीश पर चार आरोप लगाए हैं।

भूषण ने कहा है, "प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों से प्रथम दृष्ट्या ऐसे सबूत सामने आते हैं, जो यह कहते हैं कि सीजेआई मिश्र मामले में अवैध रिश्वत के भुगतान की साजिश में शामिल हो सकते हैं, जिसकी कम से कम एक गहन जांच की जरूरत है।"

भूषण ने अपनी शिकायत में ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई.एम. कुद्दुसी, बिचौलिए विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बी.पी. यादव के बीच हुई बातचीत का भी जिक्र किया है, जिसे टैप किया गया था। कुद्दुसी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, और फिलहाल वह जमानत पर हैं।

प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट को भारतीय चिकित्सा परिषद ने मेडिकल के छात्रों का प्रवेश लेने से रोक दिया था, और उसके बाद संस्थान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

प्रशांत ने प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नारायण शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज करने की सीबीआई को अनुमति न देने के न्यायमूर्ति मिश्र के कदम पर भी अपनी शिकायत में सवाल उठाया है।

24 पृष्ठों की शिकायत में कहा गया है, "उपरोक्त दर्ज मामलों ने न्यायालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और न्यायपालिका को बदनाम किया है। यह एक ऐसा मामला है, जिसे तत्काल देखने की जरूरत है।"

उन्होंने शिकायत में कहा है, "जांच तेजी के साथ होनी चाहिए, ताकि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को और नुकसान न पहुंचे और इसकी ईमानदारी व स्वतंत्रता बरकरार रहे।"

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